कसाब को फांसी देने का व्यापक स्वागत, देर से आया एक सही फैसला

अंबेडकरनगर। मुंबई हमले के गुनहगार अजमल कसाब को फांसी दिए जाने का आमतौर पर व्यापक स्वागत हुआ है। लोगों का कहना था कि यह देर से आया एक सही फैसला है। इससे भारत के विरुद्ध आतंकी साजिश रचने वालों व इसमें शामिल होने वाले लोगाें को कड़ा संदेश दिया जा सकेगा। किसी ने कहा कि आतंकी घटनाओं को ऐसे ही कड़े फै सले के जरिए रोका जा सकेगा, तो किसी ने कहा कि देश हित के मामले में कठोरतम निर्णय लेते समय अन्य बातों की परवाह नहीं करनी चाहिए। लगभग सभी लोगों का कहना था कि देश के विरुद्ध साजिश रचने के मामले का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किए जाने की जरूरत है। इसमें किसी प्रकार की राजनैतिक गुंजाइश होनी ही नहीं चाहिए। इससे पहले बुधवार को सुबह अधिकांश लोग उस समय खुशी से उछल पड़े, जब उन्हें अजमल कसाब को फांसी दिए जाने की जानकारी मिली। इसके बाद एक दूसरे को फोन कर इसकी जानकारी देने व खुशी का इजहार करने का सिलसिला शुरू हुआ। अमर उजाला ने अजमल कसाब को फांसी दिए जाने को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों की प्रतिक्रिया जानी, जो कुछ यूं है-
वरिष्ठ साहित्यकार जियाराम उर्फ विकल साकेती ने कहा कि आतंकी मामलों में ऐसे ही सख्त कदम की जरूरत है। पूरी दुनिया को यह संदेश जाना चाहिए कि भारत में ऐसी गतिविधियों को लेकर न सिर्फ कठोरतम कानून है, वरन उस पर पूरी गंभीरता से अमल भी कराया जाता है। कहा कि आतंक के प्रति भय का माहौल उत्पन्न करना होगा। यह भय ऐसे ही कड़े निर्णयों से उत्पन्न होंगे। उन्होंने आह्वान किया कि अन्य मामलों में भी ऐसे सख्त निर्णय लिए जाने चाहिए। सेंट जांस विद्यालय के प्रबंधक नवीन जान के मुताबिक यह देर से आया एक सही फैसला है। सरकारों को ऐसे फैसले में कोई लाग लपेट नहीं करना चाहिए। कहा कि काश यह फैसला कुछ दिन पहले और आया होता, तो बेहतर होता। कहा कि आतंकी घटनाओं में कोई भी लिप्त हो, उसकी सजा जल्द से जल्द तय करनी होगी और उसका अनुपालन कराना होगा। कम्प्यूटर सेंटर संचालक ज्ञान ने कहा कि इस फैसले से जाहिर तौर पर मुंबई हमले में शहीद लोगों को सच्चा सम्मान मिला है। उनके बलिदान में आज एक अध्याय और लिख गया। उन्होंने कहा कि देश को आतंकी मामलों में पूरी दुनिया को इसी प्रकार का दिन दिखाने की जरूरत है। जब तक हम पूरी मजबूती से आगे नहीं आएंगे, तब तक हमें ऐसे ही हालातों का सामना करना पड़ेगा। राष्ट्रीय खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा ने कहा कि आतंकी हमले में जिन निर्दोषों की जान जाती है, ऐसे फैसलों से ही उन परिवार के लोगों का जख्म कुछ कम किया जा सकता है। जब तक हमले में शामिल लोगों को कठोरतम दंड नहीं मिलता, तब तक शहीद और मारे गए लोगों के परिजनों को चैन नहीं मिलता। इसमें किसी भी प्रकार की राजनीति का स्थान नहीं होना चाहिए। राज हास्पिटल की डिप्टी एमडी अंजू गुप्ता के मुताबिक कसाब को फांसी दिए जाने से देश में नफरत व आतंक फैलाने वाले लोगों को जो संदेश जाना चाहिए, वह निश्चित तौर पर गया है। फैसले का पालन कराने में जाति या धर्म का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। लाख विरोध के बाद भी ऐसे लोगों को फांसी दी जानी चाहिए, जो भारत के प्रति नफरत या हिंसा फैलाने का कार्य करते हैं।

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