कमेटी ने किया प्रोजेक्ट स्थल का निरीक्षण

आनी (कुल्लू)। यहां बन रहे 1.5 मेगावाट के शशी हाइड्रो प्रोजेक्ट द्वारा नियमों को ताक पर रख कर प्रोजेक्ट निर्माण करने के आरोप में हाईकोर्ट के आदेशों से बनाई गई कमेटी ने प्रोजेक्ट स्थल का दौरा किया। इस प्रोजेक्ट को लेकर क्षेत्र के 42 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर कार्रवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उपायुक्त कुल्लू की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। 42 प्रोजेक्ट प्रभावितों ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि कंपनी नियमों को ताक पर रख कर निर्माण कार्य कर रही है। निर्माण कार्य के दौरान भारी मात्रा में वन संपदा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं, याचिका में यह भी कहा गया था कि इस परियोजना का निर्माण कार्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में किया जा रहा है। जहां पहले भी बादल फटने के कारण पहाड़ी दरक चुकी है। इसके अलावा निर्माण कार्य के दौरान निकलने वाले मलबे को वन भूमि में अवैध रूप से फेंक कर वन संपदा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। शिकायत में कहा गया था कि नियम अनुसार मलबे को डंप करने के लिए वन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी होती है, जो परियोजना प्रबंधन ने नहीं ली। इसके चलते शुक्रवार को डीसी कुल्लू शरभ नेगी की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी, जिसमें कुल्लू वन अरण्यपाल गिरीश, प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव संजय सूद और डीएफओ आनी आरके भल्ला शामिल थे, ने प्रोजेक्ट स्थल का दौरा किया। उन्होंने प्रोजेक्ट प्रबंधन और ठेकेदार को भी जम कर लताड़ लगाई। इस दौरान बाहू के मिडिल स्कूल में जांच कमेटी ने दोनों पक्षों के बयान भी दर्ज किए। वन विभाग ने माना कि 1.5 मेगावाट क्षमता वाले शशी हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य के दौरान वन संपदा को भारी क्षति पहुंची है। इसके आधार पर डैमेज रिपोर्ट तैयार कर करीब 16.75 लाख के डैमेज बिल परियोजना प्रबंधन को सौंप दिए गए हैं। इस दौरान प्रोजेक्ट के महा प्रबंधक श्रीकांत जोशी के भी बयान दर्ज किए गए।

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