एसजेवीएन ने चीन से कारोबार नहीं करने का लिया फैसला : अध्यक्ष नंदलाल शर्मा

शिमला

एसजेपीएन लिमिटेड

सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएन) ने चीन से कारोबार नहीं करने का फैसला लिया है। वर्तमान हालात को देखते हुए बीते दिनों केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से हुई बैठक में निगम ने चीन से नाममात्र कारोबार होता है, जिसे अब पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। अब निगम लोकल के लिए वोकल बनेगा। बुधवार को राजधानी शिमला स्थित एसजेवीएन के कारपोरेट कार्यालय शक्ति भवन में प्रेस वार्ता में निगम के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष नंदलाल शर्मा ने कहा कि अब स्वदेशी वेंडरों से ही मशीनें खरीदेंगे।

बीते दस सालों में निगम ने विदेश से मंगवाए जाने वाला सामान पहले ही कम कर दिया है। अन्य देशों से भी टरबाइन, रनर और सिल्ट, पाउडर सहित अन्य सामान की खरीद सीमित करेंगे। नेपाल से विवाद पर नंद लाल शर्मा ने कहा कि जिस तरह हम भारत में रहने वाले नेपाल के लोगों को अपना मानते हैं, उसी तरह नेपाल के लोग वहां रहने वाले भारतीय को अपना मानते हैं। अभी नेपाल में चल रहे बिजली प्रोजेक्टों को लेकर कोई परेशानी नहीं है। कोरोना के बीच लेबर के पलायन से निर्माण कार्य प्रभावित हुए हैं। नेपाल, बिहार और उत्तराखंड में पंद्रह दिन काम ठप रहा।

धौलासिद्ध और लुहरी स्टेज वन पर चार माह में शुरू होगा काम
राजधानी शिमला स्थित एसजेवीएन के कारपोरेट कार्यालय शक्ति भवन में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए निगम के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष नंदलाल शर्मा ने कहा कि ग्लोबल इंवेसटर्स मीट के दौरान एसजेवीएन ने प्रदेश सरकार के साथ आठ एमओयू किए हैं। इनमें से दो परियोजनाओं लुहरी स्टेज वन और धौलासिद्ध पर आगामी चार माह के भीतर काम शुरू हो जाएगा। यह दोनों प्रोजेक्ट टेंडर स्टेज पर हैं। नंदलाल शर्मा ने बताया कि शेष प्रोजेक्टों में डीपीआर बनाने का काम तेजी से चल रहा है। उन्होंने बताया कि साल 2023 तक निगम को पांच हजार मेगावाट की कंपनी बनाया जाएगा। 2030 तक बारह हजार मेगावाट और 2040 तक पच्चीस हजार मेगावाट की कंपनी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नई भर्तियां भी लगातार की

एक बेसिन पर एक ही कंपनी को काम देने की मांग दोहराई
शिमला। निगम के प्रबंध निदेशक ने प्रेस वार्ता के दौरान एक बेसिन पर एक कंपनी को ही काम देने की मांग को दोबारा दोहराया। नंदलाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार से इंवेसटर्स मीट के दौरान भी यह मांग की गई थी। इसको लेकर चर्चा जारी है। अरुणाचल प्रदेश सरकार के समक्ष भी यही मांग उठाई गई है। उन्होंने कहा कि इस मांग के पूरा होने से जहां बिजली परियोजना जल्द शुरू होंगी वहीं लागत भी कम आएगी।

 

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