स्वारघाट (बिलासपुर)। कीरतपुर से नेरचौक तक प्रस्तावित फोरलेन सड़क के लिए आंकी गई जमीन की वैल्यू से इलाकावासी खफा हैं। कीरतपुर से बिलासपुर सेक्टर तक इस सड़क के दायरे में आ रहे भूमि मालिकों ने जमीन का सही-सही आंकलन कर मुआवजा देने की मांग की है। आरोप है कि ऐसी जमीन को बंजर दर्शाया गया है जो उपजाऊ है। लेकिन, बंदरों और जानवरों के खौफ से लोग वहां कुछ अरसे से कृषि नहीं कर रहे।
मेला, थापना, समलेटु, जब्बल, सुन्नण, टाली, खरोल, तुन्नु, तथा पट्टा गांव के लोगों ने दो टूक कहा है कि विभाग की अपनी मर्जी से जमीनों की वैल्यू देने को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रभावित दलीप सिंह ठाकुर, वीरेंद्र ठाकुर, ठाकुर दास, पुष्पा देवी, सुरेंद्र कुमार, अजमेर सिंह, लक्ष्मण ठाकुर, हरि पाल, छांगुराम, सुखराम, बालीराम, करतार सिंह, निक्कूराम, रूपलाल, रामलाल, देवी राम, राम रतन, अमर सिंह, प्रताप सिंह ने बताया कि उनकी भूमि पहले भी भाखड़ा बांध के अधिग्रहण में जा चुकी है। साठ साल बीत जाने के बाद भी विस्थापितों की किसी भी सरकार ने इस समस्या का सही निराकरण नहीं किया है। उनका कहना है कि अब जब इस क्षेत्र के लोगों की भूमि का अधिग्रहण फोरलेन सड़क के लिए किया जा रहा है तो सरकार व जिला प्रशासन ने भूमि की अलग-अलग किस्में व कीमतें तय कर लोगों को ठगने का मसौदा तैयार किया है। क्षेत्र के लोगों ने गांव के दूरदराज क्षेत्र की जमीन पर कृषि करना जंगली जानवरों की समस्या के चलते छोड़ दिया है। यह जमीन उपजाऊ है। प्रशासन ने ऐसी जमीन को भी बंजर करार दिया है। उन्होंने तमाम जमीन का एक समान आंकलन करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि जमीन की जरूरत सरकार को है। भू स्वामी भूमि बेचना नहीं चाहते। उन्होंने मांग की है कि जमीन की कीमत कम से कम 20 लाख रुपए विस्वा होनी चाहिए। इससे कम वह स्वीकार ही नहीं करेंगे। इसके अलावा प्रभावितों ने जमीन के फलदार पेड़ों और अन्य पेड़ों की कीमत अलग से अदा करने की मांग की है।