उत्पीड़न को लेकर अमेरिका ने चीन के 28 संगठनों को ब्लैकलिस्ट किया

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
  • उइगर और अल्पसंख्यक मुस्लिमों पर अत्याचार में संलिप्तता को लेकर लिया फैसला
  • और बिगड़ सकते हैं अमेरिका और चीन के बीच संबंध, पहले ही चल रहा है ट्रेड वार
  • ब्लैकलिस्टेड कंपनियों में सर्विलांस और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस की कंपनियां शामिल
  • इससे पहले अमेरिकी तकनीक की चोरी के आरोप में हुवावे के खिलाफ उठाया था कदम
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार के बीच ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को बताया कि उसने चीन के 28 संगठनों को संयुक्त राज्य अमेरिका की ब्लैकलिस्ट में शामिल किया है। इसके पीछे मानवाधिकारों के हनन में उनकी भूमिका को वजह बताते हुए उनके अमेरिकी उत्पाद खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अमेरिका के वाणिज्य विभाग के अनुसार इन संगठनों पर यह कार्रवाई चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उइगर और अन्य अल्पसंख्यक मुस्लिमों के मानवाधिकारों का हनन करने में संलिप्तता के चलते लिया है। अमेरिका के वाणिज्य सचिव विलबर रॉस का कहना है कि अमेरिकी सरकार और वाणिज्य विभाग तीन में अल्पसंख्यकों का निर्मम उत्पीड़न न बर्दाश्त कर सकते हैं और न ही करेंगे।

विलबर ने कहा कि हमारे इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मुक्त उद्यम के वातावरण में बनी हमारी तकनीक का इस्तेमाल रक्षाहीन अल्पसंख्यक आबादी को दबाने के लिए नहीं किया जाता है।

एआई और सर्विलांस उद्योग से संबंधित हैं ब्लैकलिस्टेड कंपनियां

जिन संगठनों को ब्लैकलिस्ट किया गया है वो मुख्य रूप से सर्विलांस और एआई यानी आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से संबंधित हैं। इनमें हाईकेविजन (Hikvision) और दहुआ (Dahua) जैसी कंपनियां हैं जो सर्विलांस उपकरण बनाती हैं और मेग्वी (Megvii) और आईफ्लाईटेक (IFlytek) जैसी कंपनियां हैं जो फेशियल और वॉइस रेकॉग्नीशन की तकनीक पर काम करती हैं।

हाईकेविजन के एक प्रवक्ता ने अमेरिका के इस फैसला पर कड़ा विरोध जताया है। प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका के इस फैसले से वैश्विक कंपनियों द्वारा पूरी दुनिया में मानव अधिकारों की बेहतरी के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रभाव पड़ेगा।

चीनी टेलीकॉम उपकरण निर्माता हुवावे के खिलाफ भी उठाए थे कदम

बता दें कि इससे पहले अमेरिका ने इसी साल चीन की टेलीकॉम उपकरण निर्माता कंपनी हुवावे (Huwawei) के खिलाफ भी कदम उठाया था। हुवावे पर इरान के खिलाफ अमेरिका के प्रतिबंधों का उल्लंघन करने और अमेरिकी टेक्नोलॉजी को चुराने का आरोप लगा था।

 

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