ईएफएसएएस थिंकटैंक ने माना भारत चीन से टकराव की स्थिति के लिए मजबूत,सम्मान से पीछे हट जाए चीन

ईएफएसएएस थिंकटैंक ने माना भारत चीन से टकराव की स्थिति के लिए मजबूत,सम्मान से पीछे हट जाए चीन

चीन के साथ 15 जून को गलवां घाटी में सैन्य संघर्ष के बाद अमेरिकी समर्थन के बावजूद भारत ने अकेले के दम पर चीन के विरुद्ध खड़े होने की हिम्मत दिखाई है। भारत ने चीन को फिंगर-5 से वापस होकर फिंगर-8 की पुरानी स्थिति में लौटने को कहा है और ऐसा न होने तक भारत भी पीछे नहीं हटेगा। यूरोपीय थिंकटैंक ने इसे भारत का बड़ा आत्मविश्वास करार दिया है।

यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने माना है कि भारत अकेले के दम पर चीन को चुनौती देने के आत्मविश्वास से लबरेज है। थिंकटैंक ने दावा किया कि अमेरिका ने भारत को बीजिंग के विरुद्ध क्वाड का गठन करने का अवसर भी दिया लेकिन भारत ने दिखाया है कि वह खुद ही चीन के सामने किसी भी मुद्दे पर मजबूती से खड़ा रह सकता है।
ईएफएसएएस का कहना है कि 2017 में दोकलम की तरह यहां भी चीनी आक्रामकता के सामने भारतीय राजनीतिक व सैन्य नेतृत्व के दृढ़ रवैये ने चीन को हैरान कर दिया है। उसने कहा कि भले ही चीन सीमा मुद्दे की जगह द्विपक्षीय संबंध सुधारने का लालच दे रहा हो, भारत की इस तैयारी से लगता है कि वह किसी भी तरह के गंभीर टकराव की स्थिति के लिए मजबूत है।

बेहतर होगा कि चीन सम्मान से पीछे हट जाए
चीन भले ही भारत से आसान रास्ता अपनाने को कह रहा हो, लेकिन भारत अब दृढ़ और मजबूत है कि सीमा पर चीनी गतिविधियों के खिलाफ खड़े रहकर वह टकराव का सामना कर सकता है। थिंक-टैंक ने यहां तक कहा कि बेहतर होगा यदि दोनों देश आपसी सहमति से समाधान निकालें और चीन सम्मान से पीछे हट जाए। इसमें चीन और भारत, दोनों के करीबी दोस्त रूस की बड़ी भूमिका भी बताई गई है।

भारत ने बड़ी मात्रा में जुटा ली है ताकत
भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के हवाले से ईएफएसएएस ने कहा है कि दोनों पक्षों में सैन्य व कूटनीतिक स्तर पर वार्ता जारी है लेकिन यथास्थिति कुछ समय तक जारी रहेगी। यानी आगामी सर्दियों के बावजूद इतनी ऊंचाई पर दोनों देश अपने रुख पर कायम रहेंगे। भारत ने बड़ी मात्रा में ताकत जुटा ली है और वह हर साल की तरह सियाचिन ग्लेशियर में पकड़ मजबूत करने के लिए अभ्यास की तैयारी भी कर रहा है।

अमेरिका या अन्य मदद गंभीर हालातों तक नहीं
इस पूरे मामले में चीन के खिलाफ भारत को अपने साथ लेने की अमेरिकी कोशिशों पर थिंकटैंक ने यह भी कहा है कि जुलाई की शुरुआत में व्हाइट हाउस ने कहा था कि अमेरिका भारत और चीन के बीच विवाद में मजबूती से खड़ा रहेगा। अमेरिकी पेशकश के बावजूद भारत ने फैसला किया है कि वह अमेरिका या किसी अन्य देश की मदद तब तक नहीं लेगा जब तक हालात बहुत गंभीर न हों।

 

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