इन महिलाओं के हुनर को सलाम : अचार, चटनी सहित पपीते और कद्दू की मिठाई से महिलाएं कमा रहीं लाखों

इन महिलाओं के हुनर को सलाम : अचार, चटनी सहित पपीते और कद्दू की मिठाई से महिलाएं कमा रहीं लाखों

शिमला
भरमोटी पंचायत के गगाल गांव की रीना चंदेल ने 2016 में कृषि विज्ञान केंद्र बड़ा में अचार, चटनी बनाने का प्रशिक्षण लिया। उन्हें कच्चे फलों से मिठाइयां बनाने का भी प्रशिक्षण दिया गया। 2017 में रीना चंदेल ने न्यू आजीविका स्वयं सहायता समूह का गठन किया। इसमें करीब 70 महिलाओं को जोड़ा। आज यह समूह बिना तेल और घी के पपीते, कद्दू और लौकी की मिठाइयां बना रहा है।

सपनों को पंख लगाने के लिए जिद पालिये, फिर उसे पूरा करने की ठान लें। आप देखेंगे कि तमाम बाधाओं से पार पाते हुए सफलता के कदम चूमने लगेंगे। यह कहना है हमीरपुर जिले की नादौन की उद्यमी रीना चंदेल का। भरमोटी पंचायत के गगाल गांव की रीना चंदेल ने 2016 में कृषि विज्ञान केंद्र बड़ा में अचार, चटनी बनाने का प्रशिक्षण लिया। उन्हें कच्चे फलों से मिठाइयां बनाने का भी प्रशिक्षण दिया गया। 2017 में रीना चंदेल ने न्यू आजीविका स्वयं सहायता समूह का गठन किया। इसमें करीब 70 महिलाओं को जोड़ा। आज यह समूह बिना तेल और घी के पपीते, कद्दू और लौकी की मिठाइयां बना रहा है।

2017-18 में समूह का लाभ करीब 13 लाख रुपये था जो 2019-20 में बढ़कर 20 लाख रुपये हो गया। समूह की हर सदस्य अब 10000 रुपये महीना कमा रही हैं। समूह ने पहली बार धर्मशाला में प्रदर्शनी में भाग लिया, जहां उनकी ओर से बनाए उत्पाद हाथों हाथ बिके। इसी से समूह का उत्साह बढ़ा और व्यवसाय को आगे बढ़ाया। मलाणा पावर कंपनी ने उनके व्यवसाय को देखते हुए करीब 11 लाख की मशीनरी भेंट की है। हाल ही में इस समूह ने अपना स्टॉल शिमला के रिज मैदान पर लगाया है।

ये उत्पाद बनाए जा रहे
स्वयं सहायता समूह में आंवला, कैंडी, आंवला बर्फी, कच्चे पपीते के पेड़े, कद्दू के लड्डू, कद्दू की बर्फी, लौकी की बर्फी, अचार, चटनी, बड़ियां और सेवइयां बनाई जा रही हैं। सभी मिठाइयां बिना तेल और घी के बनाई जा रही हैं। स्वयं सहायता समूह की प्रधान रीना चंदेल ने बताया कि दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, हरियाणा और पंजाब में प्रदर्शनियों में भाग लिया और अच्छा रिस्पांस आया। आज वह कुरिअर से भी मिठाइयां भेज रही हैं।

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