इन्वेस्टर मीट में लघु-मध्यम उद्योगों को देंगे प्रोत्साहन

 शिमला
सांकेतिक तस्वीर
धर्मशाला में 7 और 8 नवंबर को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में लघु-मध्यम उद्योगों को विशेष रूप से प्रोत्साहन दिया जाएगा। केंद्र सरकार भी लघु और मध्यम उद्योगों को स्थापित करने पर बल दे रही है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों के विस्तार के साथ कच्चे माल का इस्तेमाल भी होगा। रोजगार के अवसर भी जुटाए जाएंगे।

राज्य में मौजूद कच्चे माल का इस्तेमाल उद्योगों में करने से किसानों और बागवानों को वित्तीय लाभ भी मिलेगा। सरकार चाहती है कि प्रदेश के जिन जिलों में जो कच्चे माल उपलब्ध है, उसी पर आधारित लघु और मध्यम दर्जे के उद्योग स्थापित किए जाएं। प्रदेश के जिलों में कच्चे माल का इस्तेमाल काफी कम किया जा रहा है।

बांस से बनेगा उत्तम गुणवत्ता का माल
बांस पर आधारित उद्योगों के लिए हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और मंडी में उद्योग स्थापित किए जाने हैं। इन जिलों में अभी परंपरागत तरीके से बांस का इस्तेमाल किया जाता है। बांस का माल तैयार करने के लिए आधुनिक मशीनों से फिनिशिंग की जाती है। ऐसे माल की बाजार में मांग ज्यादा है। बांस से माल तैयार कर स्थानीय कच्चे माल का अधिक इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसे बांस उत्पादकों को वित्तीय लाभ होगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।

फल, सब्जियों पर आधारित विधायन इकाइयां लगेंगी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में करीब पचीस फीसदी सेब हर साल खराब होता है। अगर समय पर फलों का इस्तेमाल विधायन इकाइयों में कर दिया जाए तो किसानों और बागवानों को फसली नुकसान से बचाया जा सकता है। इससे बागवानों को वित्तीय नुकसान नहीं उठाया पड़ेगा। सरकार जिला शिमला, सोलन, कुल्लू और मंडी जिलों में फल और सब्जियों पर आधारित विधायन इकाइयों को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दे रही है।

चंबा और कांगड़ा में हस्तशिल्प को बढ़ावा
ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के माध्यम से सरकार चंबा, कुल्लू और कांगड़ा में हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय कलाकारों को विशेष प्रशिक्षण देने की व्यवस्था कर रही है। इसके लिए एजेंसी की सेवाएं ली जा रहा रही हैं। इस एजेंसी का काम स्थानीय कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय बाजार मांग के अनुसार प्रशिक्षण देना है।

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