जम्मू
जम्मू कश्मीर पुलिस के एएसआई बाबूराम को गणतंत्र दिवस के मौके पर मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। राष्टपति ने उनकी पत्नी और बेटे को यह सम्मान पत्र सौंपा। वीरता पुरस्कार पाने वाले बहादुरों में जम्मू-कश्मीर का यह जांबाज घाटी में आतंकियों के लिए काल था। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने 14 मुठभेड़ों में 28 दहशतगर्दों का खात्मा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। एसओजी में तैनात बाबूराम 29 अगस्त 2020 को अपने अंतिम अभियान में तीन आतंकियों का खात्मा कर शहीद हो गए थे। वह तीनों से नौ घंटे तक लड़ते रहे थे।
जम्मू संभाग के पुंछ जिले के घारना में वर्ष 1972 को जन्मे बाबूराम स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद 1999 में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। वह लंबे समय से जम्मू कश्मीर पुलिस की एसओजी में तैनात थे। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अगस्त 2020 को श्रीनगर के बाहरी इलाका पंथा चौक में देर रात बाइक सवार आतंकियों ने 61 बटालियन सीआरपीएफ तथा पुलिस की संयुक्त पार्टी पर गोलियां बरसाईं।
इसके बाद मौके से भाग निकले। घटना के तत्काल बाद पूरे इलाके को घेरकर सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इस दौरान एक मकान में छिपे आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में एक आतंकी को मार गिराया गया। दो से तीन आतंकियों के मौजूद होने पर सर्च ऑपरेशन चलाया।
लोगों को बंधक बनाकर मकान के अंदर से आतकी कर रहे थे फायरिंग
एक आतंकी को मार गिराने के बाद बाकी बचे दो आतंकी एक घर में घुस गए। उन्होंने लोगों को बंधक बनाते हुए सुरक्षाबलों में जमकर फायरिंग करनी शुरू कर दी। इसी बीच एएसआई बाबू राम ने अपने दल के साथ दूसरे मकान से उस घर में दाखिल हुए जहां आतंकी छिपे थे।
पहले उन्होंने मकान में फंसे लोगों को बाहर निकाला। इसके बाद आतंकियों पर फायरिंग कर दी। इसमें दोनों आतंकी भी मारे गए। इस बीच ऑपरेशन में एएसआई बाबू राम भी गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्होंने बाद में दम तोड़ दिया। मारे गए आतंकियों की पहचान लश्कर-ए-तैयबा के सरगना साकिब बशीर, उमर तारिक और जुबैर अहमद शेख के तौर पर हुई थी।