आईआईटी की तकनीक चलाएगी बुलेट ट्रेन, सर्वे का काम पूरा

कानपुर
बुलेट ट्रेन

खास बातें

  • लिडार तकनीक कई बड़े कामों के लिए उपयोगी साबित होगी
  • तीन साल का काम 18 दिन में पूरा
  • अब गोरखपुर में बाढ़ रोकने के लिए करेंगे काम
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. भारत लोहानी की तकनीक बुलेट ट्रेन के संचालन में मददगार साबित होगी। लिडार नाम की यह तकनीक बाढ़ रोकने, जंगलों की स्थिति पता करने, हाईवे प्रोजेक्ट के लिए सर्वे करने सहित अन्य कई बड़े कामों के लिए उपयोगी साबित होगी।

सिविल इंजीनियरिंग के प्रो. लोहानी ने हाल ही में अपनी टीम के साथ बुलेट ट्रेन के लिए अहमदाबाद-मुंबई के बीच 580 किलोमीटर की दूरी के सर्वे का काम लिडार के माध्यम से पूरा कर लिया है। अब बुलेट ट्रेन के लिए हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन ने खाका तैयार करना शुरू कर दिया है।

प्रो. भारत ने बताया कि हेलिकॉप्टर के नीचे लिडार को सेट कर दिया जाता है और फिर जहां-जहां से गुजरेंगे, वहां नीचे की हर स्थिति मसलन नदी, खेत, जंगल सबकी रिपोर्ट फुटेज के माध्यम से कंप्यूटर में आ जाती है। इसे देखकर आसानी से किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सकता है।

तीन साल का काम 18 दिन में पूरा
प्रो. लोहानी के मुताबिक अभी तक देश में मैनुअली सर्वे होता था। मसलन 580 किमी. के भौगोलिक सर्वे में कम से कम दो से तीन साल लग जाते। लेकिन यही काम लिडार के माध्यम से 17 से 18 दिनों में पूरा हो गया। यह पहले के नक्शे की तुलना में ज्यादा विश्वसनीय भी है।

अब गोरखपुर में बाढ़ रोकने के लिए करेंगे काम
प्रो. लोहानी ने बताया कि आईआईटी में 2009 में जियोनो नाम से स्टार्टअप कंपनी इंक्यूबेट की थी। तबसे इस तकनीक पर काम हो रहा था। अब गोरखपुर में बाढ़ के प्रभाव को रोकने के लिए काम करेंगे। लिडार से सर्वे कर पता किया जाएगा कि घाघरा, आमी, राप्ती, कुआनो जैसी नदियों में कितना पानी बढ़ने पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और उसका किन-किन क्षेत्र में प्रभाव पड़ेगा।

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