अमेरिका में भारत के खिलाफ चीनी आक्रामकता का विरोध

अमेरिका में भारत के खिलाफ चीनी आक्रामकता का विरोध

वाशिंगटन
चीन की भारत के साथ बढ़ती आक्रामकता और शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों व अल्पसंख्यक समूहों के साथ मानवाधिकार उल्लंघन पर दुनिया भर में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राजधानी और उससे लगे क्षेत्रों में भारतीय-अमेरिकियों के एक समूह ने यहां जबरदस्त प्रदर्शन किए जिसमें वियतनाम के अमेरिकी नागरिक और तिब्बती समुदाय के लोग भी शामिल हुए।

कैपिटल हिल के बाहर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए और यहां स्थित ऐतिहासिक राष्ट्रीय मॉल पर एकत्रित होकर उन्होंने चीन विरोधी पोस्टर-बैनर लहराए। प्रदर्शनकारियों ने मास्क पहनकर शारीरिक दूरी बनाए रखी और शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन किया।
वियतनाम के अमेरिकी समुदाय के नेता मैक जॉन ने कहा, हम यहां कम्युनिस्ट ज्यादतियों के कारण आए हैं हमारी चीन लोगों से कोई शत्रुता नहीं। इसी तरह, ओवरसीज फ्रैंड्स ऑफ बीजेपी यूएस के वरिष्ठ नेतृत्वकर्ता अदापा प्रसाद ने कहा, इन गर्मियों में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही थी तब चीन दूसरे की जमीन पर अतिक्रमण की कोशिश में जुटा था। यह बात सिर्फ भारत में लद्दाख की ही नहीं, बल्कि उसके दूसरे पड़ोसियों के संबंध में भी है। अब समय है कि विश्व इस चीनी आक्रमकता के खिलाफ एकजुट हो।

भारत की पीठ में छुरा घोंपा
भारतीय मूल के अमेरिकी रिपब्लिकन एवं प्राउड अमेरिकन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के संस्थापक पुनीत अहलुवालिया ने कहा, चीन के विरोध में राष्ट्रपति ट्रंप की कार्रवाई एकदम सही दिशा में है। वर्जीनिया के लेफ्टिनेंट गवर्नर बनने की दौड़ में शामिल अहलुवालिया ने कहा कि चीन को अंतरराष्ट्रीय नियम मानने ही होंगे। उसने अफ्रीका, ईरान में जो कुछ किया सब जानते हैं लेकिन चीन ने बारत की पीठ में भी छुरा घोंपा है।

नरेंद्र मोदी की प्रशंसा
ग्रेटर वाशिंगटन डीसी इलाके से प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी सुनील सिंह ने भारत में चीनी एप प्रतिबंधित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, भारत के लोगों ने चीनी सामान खरीदना बंद कर दिया है, अमेरिकियों को भी ऐसा ही कदम उठाने की जरूरत है।

 

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