जालंधर (पंजाब)
पंजाब में निजी अस्पतालों को बढ़ी कीमत पर कोरोना वैक्सीन बेचने के मामले में अफसरों की चालाकी कैप्टन सरकार के लिए मुसीबत बन गई। पंजाब सरकार की योजना थी कि केंद्र सरकार से 400 रुपये की वैक्सीन खरीदकर उसका एक हिस्सा निजी अस्पतालों को 1060 रुपये में बेचा जाए। निजी अस्पताल लोगों को 1500 रुपये में टीका लगाएंगे। इससे जो आमदनी होगी वह कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) खाते में जमा करवाई जाएगी। हालांकि अधिकारियों ने न तो जमीनी स्तर पर सामाजिक व राजनीतिक लोगों से बात की और न ही आईएमए के चिकित्सकों से। नतीजा यह हुआ कि वैक्सीन पर कैप्टन सरकार चौतरफा घिर गई है।
चिकित्सकों का दावा है कि अगर उनकी सलाह ली गई होती तो तो निश्चित तौर पर यह कदम क्रांतिकारी होता और अमीर लोगों से पैसा लेकर गरीबों को वैक्सीन लगाई जाती। आईएमए पंजाब के प्रधान डॉ. नवजोत दहिया का कहना है कि सरकार हमारी सलाह लेती तो हम फार्मूला यही देते कि एक अमीर अपने साथ नौकर को मुफ्त में इंजेक्शन लगवा सकता है। इससे अमीरी व गरीबों के बीच नए रिश्ते व मदद की शुरुआत भी होती। लेकिन अधिकारियों ने किसी से सलाह लेना मुनासिब नहीं समझा, अपनी मनमानी की। उनको जमीनी हकीकत का अंदाजा ही नहीं है।
डॉ. धीरज भाटिया का कहना है कि सरकारी अधिकारियों ने योजना बनाते समय अगर सबके साथ विचार विमर्श कर लिया होता तो यह दिन न देखना पड़ता। आगे भी निजी अस्पतालों ने 250 रुपये में वैक्सीन लगाई है, पूरा तंत्र निजी अस्पताल के स्टाफ का था। कहीं कोई शोर शराबा नहीं हुआ।
सूत्रों के अनुसार, यह सारी योजना एक आईएएस अधिकारी ने तैयार की थी। लेकिन उसने जमीनी स्तर पर सामाजिक व चिकित्सकों की संस्थाओं से परामर्श नहीं लिया। जिन निजी अस्पतालों द्वारा वैक्सीन लगाया जाना था, उनमें से किसी को भी इस योजना पर विचार के लिए नहीं बुलाया गया। मुख्य सचिव विन्नी महाजन ने इसका गुणगान भी कर दिया।
यह है मामला
हाल ही में पंजाब सरकार द्वारा कोवाक्सिन की 1 लाख शीशियों में से 20 हजार राज्य के प्राइवेट अस्पतालों को 1,060 रुपये प्रति खुराक की दर से बेचे जाने का खुलासा हुआ। राज्य सरकार ने केंद्र से वैक्सीन 400 रुपये में खरीदी थी। जबकि निजी अस्पतालों ने लोगों को 1560 रुपये में टीका लगाया। यह पैसा पंजाब सरकार द्वारा तैयार सीएसआर खाते में जमा करवाया जाना था। पंजाब सरकार को एक वैक्सीन के पीछे 660 रुपये की आमदनी हो रही थी, इसी आमदनी से आगे वैक्सीन खरीदी जानी थी। लेकिन इससे पहले ही शोर मच गया।