अपनी ऐसी-तैसी पर भी खामोश है नौकरशाही

देहरादून स्थित सचिवालय में बैठे आईएएस अधिकारियों के बीच हर शाम यही चर्चा है अब कौन कहां गया। विभाग बदलते ही प्रमुख सचिव एस. रामास्वामी का एक महीने की छुट्टी पर चले जाना पुख्ता करता है कि नौकरशाही बुरे दौर से गुजर रही है।

एक-दो अफसर चला रहे पूरा देश
एक-दो अफसर पूरा प्रदेश चला रहे हैं, बाकी किसी के लिए कोई गारंटी नहीं है कि उन्हें दिया गया विभाग कितने दिन उनके पास रहेगा। कहीं मंत्री से टकराव तो कहीं ऊपर का दबाव। ऐसे में आईएएस एसोसिएशन की खामोशी और ज्यादा चिंता की बात है।

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अधिकारियों के बीच विभागों का तबादला इतनी तेजी से हो रहा है कि कई के कमरों के बाद लगी तख्ती में कागज की स्लिप पर विभाग लिखकर चिपकाए गए हैं। सीनियर ब्यूरोक्रेट एस रामास्वामी विरोध जताकर छुट्टी चले गए, जबकि ज्यादातर अफसरों को इसकी आदत हो चली है।

वरिष्ठ नौकरशाह अजय जोशी के यूपी चले जाने केबाद आईएएस एसोसिएशन की बैठकों का सिलसिला भी ठप हो गया। ताजा मामला दो प्रमुख सचिवों एस रामास्वामी और ओमप्रकाश से जुड़ा है। दोनों अपने मंत्रियों की नाराजगी के चलते हटे। इससे पहले भी कभी शिक्षा विभाग तो कभी राजस्व में यही होता रहा।

महीने भर बाद ही वापसी
रविनाथ रमन को आपदा क्षेत्रों में हाउसिंग व भवन निर्माण में भेजा गया लेकिन महीने भर बाद ही वापसी हो गई। टैक्स कमिश्नर के पद से सौजन्या की विदाई के पीछे एक पावरफुल ब्यूरोक्रेट का हाथ रहा। राज्य की नौकरशाही में ऐसे इतने उदाहरण है कि एक बड़ा ग्रंथ लिखा जा सकता है।

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सुस्त पड़ी एसोसिएशन ने तब कुछ नहीं किया जब एक प्रमुख सचिव ने साढ़े तीन साल पहले अपर मुख्य सचिव अजय जोशी के साथ दुर्व्यवहार किया। बगैर किसी कारण के ही वरिष्ठ आईएएस बिजेंद्र पाल को दरकिनार कर तीन जूनियर अफसरों को सीएस ग्रेड दिया गया।

तब भी एसोसिएशन को फर्क नहीं पड़ा जब अजय जोशी व एसके मट्टू को सचिवालय से बाहर बेरोजगारी की हालत में छोड़ा गया। जो ब्यूरोक्रेट्स मजबूत थे वो और मजबूत होते गए और बगैर एप्रोच वालों को इज्जत बचानी मुश्किल हो गई। ऐसे में आईएएस एसोसिएशन की नींद नहीं टूटना वैसे भी चिंता का विषय है।

पिछले पांच सालों में आईएएस एसोसिएशन ने कई बार बैठक कर ट्रांसफर पोस्टिंग में राजनीति, जल्दी जल्दी तबादले आदि का विरोध किया लेकिन जो बैठक में आदर्शवादी बात करने वाले ही सरकार की गोद में बैठते रहे।

अब नहीं है कोई गुरेज
एक बात जरूर रही। जब भी कोई आईपीएस या आईएफएस ने शासन में सचिव केपद पर आने के कोशिश की तो आईएएस लॉबी खुलकर सामने आई। सीएम से मिलकर विरोध भी जताया।

एक साल पहले जब पीसीसीएफ आरबीएस रावत को शासन में अपर मुख्य सचिव बनाए जाने की तैयारी हुई तो आईएएस लॉबी ने उसे रुकवा दिया। लेकिन अब तो 2002 बैच के आईएएस डी.सेंथिल पांडियन को डिफेंस एंड एकाउंट सर्विस के अजय प्रद्योत की मातहती में काम कर करने से भी गुरेज नहीं।

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