अन्वेषण अधिकारियों ने सीखेे जांच के गुर

धर्मशाला। क्षेत्रीय फोरेंसिक लैब नार्थ जोन धर्मशाला में पुलिस अन्वेषण अधिकारियों दो सप्ताह का फोरेंसिक साइंस का प्रशिक्षण दिया गया। 18 फरवरी से 2 मार्च तक आयोजित दो सप्ताह के प्रशिक्षण शिविर में पुलिस आईओ को फोरेंसिक विशेषज्ञों की ओर से अपराध घटना स्थलों से विभिन्न प्रकार के भौतिक साक्ष्यों का उचित ढंग से संरक्षण करने एवं आगामी वैज्ञानिक विधियों के परीक्षण करने के बारे में प्रयोगों और थ्योरी के माध्यम से जानकारी दी गई। दो सप्ताह के प्रशिक्षण शिविर में पुलिस अन्वेषण अधिकारियों को फोरेंसिक विभाग की नई तकनीकों के बारे में बताया गया। पुलिस अन्वेषण अधिकारियों के प्रशिक्षण शिविर के समापन पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर प्रशिक्षण प्रमाण पत्र भेंट किए। कार्यक्रम में फोरेंसिक साइंस प्रयोगशाला के निदेशक डा. अरुण शर्मा ने मुख्य अतिथि को बताया कि विभाग की प्रयोगशाला में इससे पहले भी सैकड़ों पुलिस अन्वेषण अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि दो सप्ताह के प्रशिक्षण शिविर में पुलिस आईओ फोरेंसिक मेडिकल विभाग, वैज्ञानिकों, टीएमसी और क्षेत्रीय अस्पताल के डाक्टरों की ओर से पोस्टमार्टम, मेडिकोलिगल परीक्षण, विभिन्न प्रकार के फेक्चर और आपराधिक घटनाओं में चोटों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि शिविर में पुलिस आईओ को फर्जी दस्तावेज, क्रेडिट कार्ड, साइबर क्राइम, डीएनए फिंगर प्रिटिंग, मादक पदार्थों, रसायन एवं विष विज्ञान, जीव एवं सीरम विज्ञान, भौतिक एवं आग्नेय विभाग की जानकारी प्रदान की गई। इस मौके पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने पुलिस अन्वेषण अधिकारियों को आधुनिक युग में बढ़ते अपराध को उचित रूप से अन्वेषण के लिए वैज्ञानिक विधियों के इस्तेमाल पर अधिक बल देने को कहा, ताकि कोई भी अपराधी अपराध करने के उपरांत कानूनी कार्यवाही से न बच सके और निर्दोष एवं पीड़ित को उचित न्याय मिले। इस मौके पर क्षेत्रीय फोरेंसिक साइंस लैब की सहायक उपनिदेशक डा. मीनाक्षी महाजन, वैज्ञानिक अधिकारी माम राज शर्मा, सहायक वैज्ञानिक अधिकारी जसवंत सिंह और डा. दुबे उपस्थित रहे।

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