हिमाचल के शहरों पर 26 करोड़ हाउस टैक्स बकाया

हिमाचल प्रदेश के शहरों पर 26.45 करोड़ रुपये का हाउस टैक्स बकाया है। वर्ष 2010 से 50 में से 45 शहरी निकाय गृहकर नहीं वसूल पाए हैं। हैरानी की बात है कि हाउस टैक्स से शहरों को कर के रूप में सबसे ज्यादा कमाई होती है।

इसकी वसूली न होने से विकास को धन की भारी कमी है। कारण यह है कि वर्ष 2010 से केंद्र के प्रावधान के तहत टैक्स लगाने का अधिकार शहरी निकायों को दे दिया गया है।

इसके बाद अधिनियम में संशोधन प्रक्रिया सरकार के विचाराधीन है। इस कारण सारी प्रक्रिया अटकी हुई है।

शहरी निकाय अपने स्तर पर मतदाताओं को नाराज नहीं करने की मंशा से टैक्स वसूली की राह पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं। राज्य में शिमला में एक नगर निगम, 25 नगर परिषदें और 24 नगर पंचायतें हैं।

इन सभी में कुल 26,45,25,461 रुपये का गृहकर बकाया है। 2010 से नगर निगम अधिनियम और राज्य नगर पालिका अधिनियम 1994 में संशोधन हुआ।

संशोधित प्रावधानों के मुताबिक वर्तमान में सरकार के बजाय नगर पालिकाएं ही अपने क्षेत्र में गृहकर अधिरोपित करने, वसूल करने और छूट का अधिकार रखती हैं।

इसके बाद से शिमला नगर निगम में टैक्स वसूली की प्रक्रिया कौन सी हो? इस पर लंबे अरसे से मंथन चला हुआ है। नगर निगम पर चार करोड़ 36 लाख 12 हजार 39 रुपये का गृहकर बकाया है।

इसके अलावा एक दर्जन से ज्यादा निकाय ऐसे हैं, जिनमें गृहकर की बकाया राशि करोड़ों में हैं। नगर पंचायत बिलासपुर, बद्दी, कोटखाई, राजगढ़ और करसोग ऐसे स्थानीय निकाय हैं, जिनका गृहकर बकाया नहीं है।

शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा कहते हैं कि गृहकर शहरी निकाय की आय का बड़ा साधन है। इसकी वसूली न होने से धन की कमी है। सरकार अपने स्तर पर सभी शहरी निकायों को फंड नहीं कर सकती। इसलिए कर प्रक्रिया को सुधारने की कोशिश की जा रही है। जल्द इस बारे में सरकार फैसला लेगी।

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