
शिमला : उच्च न्यायालय ने पिछले 17 वर्षों से मैडीकल लैबोरेटरी टैक्रोलॉजी के लैक्चरार पदों के लिए भर्ती व पदोन्नति नियम न बनाने के मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) अली राजा रिजवी के दिसम्बर माह से सारे वेतन रोकने के आदेश दे दिए हैं और स्पष्ट किया है कि जब तक ये भर्ती एवं पदोन्नति नियम अधिसूचित नहीं हो जाते तब तक वे अपना वेतन लेने से वंचित रहेंगे। मुख्य न्यायाधीश कुरियन जोसेफ व न्यायाधीश राजीव शर्मा की खंडपीठ ने सतीश ओगटा द्वारा दायर अवमानना खचिका की सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश पारित किए।
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी जो लैब असिस्टैंट के पद पर कार्यरत था, को पीजीटी से एमएससी मैडीकल लैबोरेटरी टैक्रोलॉजी (बायोकैमिस्ट्री) का कोर्स इस शर्त पर करवाया कि प्रार्थी को 5 साल के लिए उपयुक्त समायोजित किया जाएगा। जिस क्षेत्र में उसने शिक्षा हासिल की मगर विभाग ने प्रार्थी का केस प्रधानाचार्य और विभागाध्यक्ष आईजीएमसी द्वारा खाली पड़े हुए पदों के लिए अनुमोदित किया। इसी तरह का अनुमोदन निदेशक (स्वास्थ्य) शिक्षा द्वारा भी किया गया लेकिन प्रार्थी का मामला सचिव (स्वास्थ्य) ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के बिना प्रार्थी को किसी भी पद के लिए नियुक्ति नहीं दी जा सकती। इस आदेश को प्रार्थी ने चुनौती दी जिसके बाद अदालत के नोटिस मिलने पर सचिव (स्वास्थ्य) ने प्रार्थी को लैक्चरर मैडीकल लैब टैक्रोलाजी तैनात किया पर प्रार्थी को कोई लाभ नहीं
दिया गया।
हाईकोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए सचिव के आदेश को संशोधित करते हुए आदेश दिया कि प्रार्थी लैक्चरर मैडीकल लैब टैक्रोलाजी के पद के लिए सभी लाभ पाने का हकदार है तथा विभाग को आदेश दिए हंै कि उपरोक्त पद हेतु भर्ती एवं पदोन्नति नियम 31 दिसम्बर, 2011 तक बनाए। न्यायालय ने खेद प्रकट किया कि न्यायालय के आदेशों के एक वर्ष बाद भी पालना नहीं हुई है अत: प्रधान सचिव को वेतन लेने से
रोका जाए।