
नूरपुर (कांगड़ा)। स्थान: खज्जन पंचायत का हार गांव। समय : सुबह करीब 10 बजे। उद्यान विभाग में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी विक्रम सिंह का मोबाइल अचानक घनघनाता है। फोन रिसीव करने पर दूसरी ओर से बेटे की आवाज आती है… पिता जी मैं सही सलामत ड्यूटी पर पहुंच गया हूं। बेटे के सही-सलामत ड्यूटी पर पहुंचने की बात सुनकर मां के कलेजे को ठंडक मिलती है।
इस खौफ का कारण है जब्बर खड्ड। वीरवार तड़के से खराब मौसम में जब्बर खड्ड पार कर ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकले बेटे की चिंता विक्रम सिंह को सता रही थी। बारिश के मौसम में उफान पर बहने वाली जब्बर खड्ड को पार करना खतरे से खाली नहीं। हर रोज रोजी-रोटी के जुगाड़ में शहर का रुख करने वाले विक्रम सहित हार, जनेरा तथा बल्ला गांवों के लोगों और स्कूली बच्चों को बरसात में करीब एक किमी लंबे ऊबड़-खाबड़ रास्ते से जाना पड़ता है, साथ में बहती है जब्बर खड्ड। पैदल चलती बार हल्की से चूक हुई तो जान खतरे में। भारी बारिश में यहां के लोग बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं। बरसात में जब्बर खड्ड के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है या फिर खड्ड के साथ लगते घने जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है। यदि खड्ड में पानी कम हो तो लोग इसे पार कर लेते हैं। कोई बीमार हो जाए तो नूरपुर पहुंचाने में खासी दिक्कत होती है। विडंबना यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक भवन, पशु चिकित्सालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम करीब चार सौ की आबादी सियासतदानों को कोसने के सिवा और कुछ नहीं कर सकती।
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फारेस्ट क्लीयरेंस से रुकी सड़क : इंद्र
पंचायत प्रधान खेमराज, उपप्रधान स्वर्ण सिंह, पूर्व प्रधान गुरबख्श सिंह, पूर्व उपप्रधान कुलदीप सिंह, ओंकार सिंह, कुलदीप सिंह, जसवंत सिंह, शरीफ दीन, चूड़दीन, कर्मदीन, बलवंत सिंह ने बताया कि बरसात के दिन में लोगों को जान जोखिम में डालकर जंगल या खड्ड के रास्ते से मुख्य सड़क तक पहुंचना पड़ता है। पिछले साल मनरेगा में रास्ते के निर्माण की कवायद शुरू हुई थी। लोनिवि के अधिशाषी अभियंता इंद्र सिंह ने बताया कि सड़क के निर्माण में फॉरेस्ट क्लीयरेंस का पेंच अटका हुआ है।