
आजमगढ़। वर्ष 2009 जहानागंज थाना क्षेत्र के पुनर्जी गांव के प्रधान सूब्बा यादव हत्याकांड में चार सगे भाइयों समेत पांच को अदालत ने उम्र कैद के साथ अर्थदंड की सजा सुनाई। बुधवार को यह सजा अपर सत्र न्यायाधीश शैलेश कुमार तिवारी ने सुनाई। इसी मामले के एक अन्य आरोपी की मुकदमा कार्रवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी थी।
पुनर्जी गांव में गत पांच मई 2009 की सुबह लगभग आठ बजे आरोपियों ने प्रधान की लाठियों से पीटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में मृतक का पोता राजकुमार यादव ने गांव के छह लोगों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया था। मुकदमे में कहा था कि गांव के दक्षिणी छोर पर चक मार्ग पर कराए जा रहे मिट्टी के कार्य को आरोपियों ने रोका और पैमाइश कराए जाने की बात कही। इस बात पर प्रधान अपने घर की तरफ चल दिए। इसी दौरान नामजद आरोपी आए और घेर कर लाठियाें से मारना शुरु कर दिया। मारपीट के दौरान आई चोट से सुब्बा यादव ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। बीच-बचाव के दौरान मुकदमे के वादी के चचेरे भाई प्रदीप यादव को चोटें आई। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। सत्र परीक्षण के दौरान अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता अवधेश कुमार और अखिलेश मिश्र ने मुकदमे के वादी राजकुमार, घायल प्रदीप यादव समेत कुल दस गवाहों को अदालत में पेश किया और तर्को को रखा। अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्को को सुनने के बाद नामजद आरोपी रामअवध, रविंद्र पाण्डेय, अवध नरायन, रामदरश पुत्रगण शुभकरन पाण्डेय, रोशन पाण्डेय पुत्र रामअवध पाण्डेय को हत्या का दोषी पाते हुए उम्र कैद के साथ प्रत्येक को चार-चार हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। जबकि शिवपूजन पुत्र नरेश पाण्डेय की मुकदमा कार्रवाई के दौरान मौत हो गई थी।