
फतेहपुर (कांगड़ा)। फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) का दर्जा प्राप्त फतेहपुर अस्पताल इलाके की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के मूल मकसद से कोसों दूर है। 30 बिस्तरों की क्षमता वाला यह अस्पताल दो स्टाफ नर्सों के सहारे चल रहा है। जबकि अस्पताल में रोजाना औसतन 40 से 50 मरीज उपचाराधीन रहते हैं। अस्पताल प्रशासन काम चलाने के लिए निजी अस्पताल से नर्सें डेपुटेशन पर लेने को मजबूर है।
इसके अलावा अस्पताल में रखी अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग मशीन भी बिना रेडियोलाजिस्ट के सफेद हाथी बनी हुई है। वहीं अस्पताल में एक्स-रे की भी नियमित सुविधा नहीं है। इसका कारण रेडियोग्राफर का पद डेपुटेशन के सहारे होना है। हालांकि अस्पताल में 4 चिकित्सा अधिकारियों के अलावा एक दंत चिकित्सक व एक रोग विशेषज्ञ का पद सृजित है। इन सभी पदों पर तैनात चिकित्सकों की टीम अपनी तरफ से जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने को तत्पर रहती है। लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव के चलते मरीजों को अकसर पड़ोसी राज्य पंजाब के तलवाड़ा या पठानकोट में निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। जहां अस्पताल में पीने के पानी की समुचित व्यवस्था न होने के चलते अक्सर मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं लैब में गिने-चुने टेस्ट होने के कारण मरीजों को निजी लैबों में अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है।
वहीं बीएमओ डा. बीएम गुप्ता का कहना है कि फतेहपुर अस्पताल में रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए विभाग के आला अधिकारियों को लिखा गया है।
लोगों ने उठाई सुविधाओं की मांग
जिला परिषद के उपाध्यक्ष जगदेव सिंह, ब्लाक समिति फतेहपुर के चेयरमैन मनीष राणा, बगड़ोली पंचायत की प्रधान रक्षा देवी, जगनोली के प्रधान रणवीर सिंह, हाड़ा की प्रधान सुदेश कुमारी, उपप्रधान बलवंत सिंह, लोहारा के प्रधान जीवन जरियाल, लुडियाल के प्रधान जगरूप सिंह, जिला परिषद सदस्य संजीव पराशर इत्यादि ने एफआरयू फतेहपुर में मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग की है।