
शिमला। हिमाचल प्रदेश सचिवालय में तृतीय श्रेणी से ऊपर तक के अधिकारियों के लिए पदोन्नति के लिए स्नातक की डिग्री अनिवार्य होगी। राज्य सरकार ने सचिवालय में पदोन्नति के नियम बदलने की कवायद शुरू कर दी है। सरकारी स्तर पर इसका प्रस्ताव कार्मिक विभाग ने तैयार किया है। इसे नई सरकार के पहले मंत्रिमंडल की बैठक में लाया जा सकता है। नई सरकार को प्रस्ताव पसंद नहीं आया तो कुछ समय तक मामला लटक सकता है, लेकिन सरकारी अमले ने अपनी तरफ से पदोन्नति नियमों को बदलने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है। इस पर बस मंत्रिमंडल की मुहर लगना बाकी है। वर्तमान में प्रदेश सचिवालय में जमा दो की न्यूनतम शिक्षा के आधार पर कर्मचारियों को पदोन्नति दी जाती है।
सूत्र बताते हैं कि सरकार की ओर से प्रस्ताव तैयार करते समय तर्क दिया है कि स्नातक की शिक्षा के बाद कर्मचारी से अधिकारी बनने वाले बेहतर प्लानर साबित होंगे। इसका लाभ सचिवालय ही नहीं बल्कि प्रदेश के लिए बनने वाली योजनाओं को होगा। दूसरी तरफ सचिवालय में पदोन्नति का इंतजार कर रहे स्नातक से कम शिक्षा वाले वरिष्ठ कर्मचारियों की परेशानी बढ़ती जा रही है। यदि सरकार की ओर से यह नियम लागू किए जाते हैं तो लंबे समय से अपने पदों पर सेवाएं दे रहे वरिष्ठ लेकिन स्नातक से कम पढ़े लिखे कर्मचारियों से युवा भर्ती हुए तृतीय श्रेणी के कर्मचारी जल्द पदोन्नत होंगे। इस योजना का प्रारूप कार्मिक विभाग ने तैयार कर लिया है। इसमें महज चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ही छूट दी है, अन्य सभी को नए नियमों के दायरे में लाया जा रहा है।
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प्रस्ताव तैयार बनाया, मंत्रिमंडल देगा मंजूरी : सीएस
शिमला। प्रदेश के मुख्य सचिव एस राय ने बताया कि सरकार की ओर से प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद ही लागू किया जा सकेगा। कार्य और योजनाओं में गुणवत्ता लाने के लिए इसका प्रारूप तैयार किया गया है।