शिक्षा विभाग में ठेके में की जा रही भर्तियों का विरोध

अल्मोड़ा। रचनात्मक शिक्षक मंडल के तत्वावधान में शिक्षा के निजीकरण, बाजारीकरण के खिलाफ समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की मांग को लेकर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का समापन हो गया है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकारी नीतियों ने शिक्षा को बाजार की वस्तु बना दिया है। उन्होंने शिक्षा विभाग में ठेके में की जा रही भर्तियों का विरोध किया। कार्यशाला में शिक्षा के निजीकरण, बाजारीकरण के खिलाफ अभियान चलाने और दो लाख लोगों के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन राज्यपाल को सौंपने का निर्णय लिया गया।
वक्ताओं ने शिक्षा को निजी हाथों में सौंपे जाने के प्रयासों पर चिंता जताई। आरोप लगाया कि सरकार नियमित और प्रशिक्षित शिक्षकों को नियुक्ति देने के बजाए कामचलाऊ व्यवस्था के तहत ठेके पर भर्तियां कर रही है। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाकर उन्हें शिक्षण से विमुख किया जा रहा है। कार्यशाला में समान शिक्षा प्रणाली लागू करने, देश में शिक्षा का बजट कुल सकल बजट का छह फीसदी से अधिक करने, प्राथमिक स्कूलों में पांच शिक्षक तैनात करने, आउटसोर्सिंग के स्थान पर रिक्त पदों पर पूर्णकालिक प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की गई।
संगठन के राज्य संयोजक नवेंदु मठपाल और राज्य संयोजक सचिव राजीव जोशी ने बताया कि तीन माह के भीतर राज्यभर से दो लाख हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा जाएगा। कार्यशाला में मुकेश बहुगुणा, डा. शैलेंद्र धपोला, सुरेश प्रेती, प्रशांत कांडपाल, उदय किरौला, प्रेम मावड़ी आदि ने विचार रखे। अध्यक्षता हयात सिंह रावत ने की। राज्य संयोजक मंडल को यथावत रखते हुए जवाहर मुकेश (उत्तरकाशी) और नीरज पंत (अल्मोड़ा) को प्रांतीय संयोजक मंडल में शामिल किया गया। इस मौके पर हेम जोशी, दीप सनवाल, शालिनी डंगवाल, पीसी तिवारी, कैलाश डोलिया, गरिमा, रमा शंकर नैनवाल आदि उपस्थित थे।

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