
जुब्बल (शिमला)। शराचली क्षेत्र सहित आसपास के क्षेत्रों में रविवार को जमकर ओलावृष्टि हुई। ओलावृष्टि से नाशपाति, खुमानी, आड़ू, बादाम सहित कई जगह सेब के पौधों को भी भारी क्षति पहुंची है। एक ओर जहां क्षेत्र में ओलावृष्टि होती रही, वहीं ओलावृष्टि से बचाव के लिए बटाड़गुल्ल में स्थापित की गई एंटी हेलगन को नहीं चालू नहीं किया गया। इससे क्षेत्रवासियों में भारी रोष है। क्षेत्रवासियों ने एंटी हेलगन को बटाड़गल्लु से हटाकर शराचली में स्थापित करने की भी मांग उठाई है।
मांदल पंचायत के उपप्रधान अजय बिष्ट, पंचायत समिति सदस्य अनीता चौहान, मांदल पंचायत के पूर्व प्रधान बलबीर ठाकुर, रांवी पंचायत के पूर्व प्रधान विजेंद्र चौहान, थाना पंचायत के पूर्व प्रधान चानन लाल चतरांटा, रमेश कोटवी, अनिल चतरांटा, दलीप कालटा, भागमल मांटा, मीरा भागटा, रमेश मांटा, नरेंद्र दुल्टा, प्यारे लाल दुल्टा, विजय पाल, छोटू चौहान, कंवर सिंह दुल्टा, विनोद सुबरेटा, बिनु सुबरेटा, शमशेर खलास्टा, हरदयाल तथा सत्यपाल ने बताया कि रविवार को दोपहर बाद क्षेत्र में भारी ओलावृष्टि हुई। मांदल, थाना, झगटान, गिलटाड़ी सहित सावड़ा और कठासु में ओले गिरे हैं। उन्होंने बताया कि ओलावृष्टि होने पर भी एंटी हेलगन को नहीं चलाया गया, जबकि दो वर्ष तक एंटी हेलगन के कारण क्षेत्र के बगीचे ओलावृष्टि से बचे हुए थे। आरोप लगाया कि एंटी हेलगन योजना को कांग्रेस नेताओं ने ओछी राजनीति के चलते बंद कर दिया है। उन्होंने मांग उठाई है कि अगर बटाड़गल्लु में एंटी हेलगन को चलने नहीं दिया जा रहा है तो उसे शराचली में स्थापित किया जाए। उधर, उद्यान विकास अधिकारी जुब्बल डा. केएन शर्मा ने बताया कि बटाड़गल्लु में स्थानीय लोग एंटी हेलगन को नहीं चलने दे रहे हैं, जिससे गन नहीं चलाई जा सकी है।