
लोहाघाट। वर्षा के कारण सरकारी, गैर सरकारी संपत्ति को तो नुकसान पहुंचा ही है जिले में आलू की फसल भी बर्बाद हो गई है, जिससे किसानों के सामने घोर आर्थिक संकट पैदा होने जा रहा है।
किसानों ने बैंकों से फसली लोन लेकर आलू की बुआई की थी। आलू की खेती पर ही हर परिवार की अर्थव्यवस्था टिकी रहती है। हर परिवार न्यूनतम 15-20 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की कमाई आलू की खेती से किया करते थे। इस वर्षा ने किसानों के चेहरे मुरझा दिए हैं। उनकी भविष्य की आस समाप्त हो चुकी है।
बताया गया है कि आलू के दाने अंदर से सड़ चुके हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता हिमेश कलखुड़िया ने तपनीपाल, पोखरी, मारागांव, कमलेख, मानर, बांजगांव, गोशनी, परध्यानी, त्यारसों गांवाें का भ्रमण करने के बाद बताया कि अगेती आलू की खेती शतप्रतिशत, पछेती आलू 70 फीसदी तक बर्बाद हो चुका है। उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे फैक्स में वर्षा से अर्थव्यवस्था में पड़े तगडे़ आघात को दैवी आपदा में शामिल कर किसानों के कृषि लोन माफ करने के साथ इन्हें आर्थिक सहायता भी दी जाए। ताकि वह अपनी गुजर बसर कर सकें। श्री कलखुडिया का कहना है कि अकेले खेतीखान क्षेत्र में 50 से 75 लाख रुपये का आलू उत्पादन होता है। इस वर्ष किसान अपने खेतों की हालत देखकर अपनी किस्मत पर रो रहे हैं।