
गगरेट : गगरेट के बड़ोह गांव के जंगल से पेड़ से लटके मिले एक युवती के शव के मामले में पुलिस व स्वास्थ्य विभाग में आपसी तालमेल की कमी का उदाहरण स्पष्ट देखने को मिला। गत दिन करीब डेढ़ माह पहले रहस्यमयी परिस्थितियों में गायब हुई युवती का शव बड़ोह गांव के जंगल में पेड़ से लटका मिला था। शव के क्षत-विक्षत होने के कारण शव का वहीं पर पोस्टमार्टम करवाने का फैसला लिया गया था। बुधवार सुबह 11 बजे पुलिस अपनी कार्रवाई पूरी कर चुकी थी और शव का मौके पर ही पोस्टमार्टम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क साधा गया तथा खंड चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करने को कहा गया लेकिन जब बात नहीं बनी तो पुलिस द्वारा डाक्टरों को लाने के लिए सरकारी वाहन जिला अस्पताल भेजा गया।
करीब सवा 5 बजे डाक्टरों की टीम घटनास्थल पर पहुंची तथा अंधेरा होने की वजह से पोस्टमार्टम सुबह 10 बजे करने की बात कही तथा शव नीचे उतार दिया परंतु सुबह खुले में पोस्टमार्टम न करने की दलील देकर शव को जिला अस्पताल पहुंचाया गया जिस पर स्थानीय जनता भड़क गई। पहले तो जनता ने शव सहित चक्का जाम कर रोष प्रदर्शन करने का ऐलान किया लेकिन स्थिति उस समय विकराल रूप धारण कर गई जब गांव की महिलाओं ने बिना पोस्टमार्टम करवाए ही शव का अंतिम संस्कार करने के लिए शव को कब्जे में ले लिया।
स्थिति विकराल होती देख एसएचओ दीवान चंद ने मोर्चा संभाला और काफी मशक्कत के बाद वह जनता को समझाने में कामयाब हुए। हालांकि इसके बाद डाक्टरों की टीम घटनास्थल पर पहुंची और शव का पोस्टमार्टम कर इसे परिजनों के हवाले किया गया। सवाल यह है कि जब समय रहते स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सारी घटना का ब्यौरा दे दिया गया था तो फिर पोस्टमार्टम के लिए इतना समय क्यों लगा। गांववासी भड़क जाते और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती तो किसे दोषी ठहराया जाता।
शव जिला अस्पताल तक पहुंचाने की स्थिति में नहीं था इसलिए मैडीकल बोर्ड द्वारा मौके पर ही पोस्टमार्टम करवाने की अपील की गई थी।
दीवान चंद, थाना प्रभारी
बुधवार सायं अंधेरा हो जाने के कारण पोस्टमार्टम नहीं हो सका। विभाग इसके लिए गंभीर था और वीरवार को घटनास्थल पर ही शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सौंप दिया गया।
आरके कौशल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी