मौसम की बेरुखी बागवानी पर भारी

रोहडू। बर्फबारी और बारिश न होने के कारण क्षेत्र में एक बार फिर सूखे जैसे की स्थिति बन गई है। सूखे की मार झेल रहे बागवान मौसम की बेरुखी से काफी चिंतित हैं। बगीचों में तौलिए तथा सेब की काटछांट का कार्य जोरों पर है। सूखे के कारण भूमि से नमी गायब हो गई है। ऐसे में तौलिए बनाना मुश्किल हो रहा है। बर्फबारी और बारिश न होने से सेब के लिए आवश्यक चिलिंग आवर भी प्रभावित होने का डर है।
जनवरी शुरू हो गया है लेकिन बारिश और बर्फबारी अभी भी शुरू नहीं हुई है। बागवानों को आस थी कि नए वर्ष के आरंभ में बर्फबारी होगी। लेकिन बागवानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। बागवान इन दिनों सेब की काटछांट तथा तौलिए बनाने के कार्य में जुटे हुए हैं। सूखे के चलते पौधे के चारों ओर खोद कर तौलिया बनाना मुश्किल हो गया है। तौलिए बनाने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय चल रहा है। इन दिनों बागवान पौधों की जड़ों को साफ करने का कार्य भी करते हैं। सेब के लिए आवश्यक चिलिंग आवर की प्रक्रिया भी आरंभ हो गई है। लेकिन मौसम की बेरुखी से चिलिंग आवर की प्रक्रिया भी तेजी से नहीं चल रही है। इससे आने वाले दिनों में फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
उद्यान विकास अधिकारी डा. आगर दास ने बताया कि बगीचों के लिए जनवरी में बर्फबारी तथा वर्षा होना आवश्यक रहता है। सूखे के कारण बागवान काफी चिंतित हैं। बगीचों का कार्य करना भी कठिन हो रहा है। सेब के चिलिंग आवर की प्रक्रिया भी तेजी से नहीं चल रही है। भूमि में नमी होने से तौलिए बनाने का कार्य मुश्किल हो गया है।

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