
उत्तरकाशी। मजूदर न मिलने पर आईटीबीपी और पुलिस के करीब 250 जवान भागीरथी के किनारे जड़भरत घाट में वायरक्रेट भरने में जुटे रहे। डीएम और एसपी खुद दिन भर कार्य स्थल पर बैठे रहे।
पिछले वर्ष की बाढ़ के बाद सुरक्षा दीवार बनाने के लिए बहाव में छेड़छाड़ से भागीरथी ने इस बार खूब तबाही मचाई। नदी के बहाव से यहां जड़भरत मार्ग और मणिकर्णिका घाट के तटवर्टी घरों की ओर कटाव से हडकंप मचा है। प्रभावितों का कहना है कि पहले ही भागीरथी में जमा रेत-बजरी को दोनों छोरों की ओर हटाकर पानी बीच से छोड़ा जाता तो नुकसान नहीं होता। वायरक्रेट डालने के बावजूद तटवर्ती घरों में भागीरथी के कटाव में कमी न होते देख लोगों ने सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन शुरू कर दिया है। इधर, प्रशासन आईटीबीपी, पुलिस और राहत कार्यों में हाथ बंटाने आए स्काउट-गाइडों की फौज से पत्थरों का ढुलान कर वायरक्रेट डाल रहा है। जड़भरत घाट में दिनभर बैठकर डीएम डा. आर राजेश कुमार, एडीएम बीके मिश्रा, एसपी जगतराम जोशी, सीडीओ ललित मोहन रयाल जवानों से सुरक्षा कार्य करवाने में जुटे रहे। एडीएम बीके मिश्रा ने कहा आईटबीपी के 150 जवान बुलाए गए हैं। इतने ही पुलिस कर्मियों को भी बचाव कार्यों में लगाया है।
जोशियाड़ा के लोगों ने भी डीएम को घेरा
बृहस्पतिवार को जोशियाड़ा के प्रभावितों ने जड़भरत घाट पर कुछ देर डीएम तथा एसडीएम का घेराव किया। उनसे पूछा कि वह अब जोशियाड़ा के लिए क्या कर रहे हैं। कल्पना, विनीता, कलावती, उमा, विजयलक्ष्मी तथा पुष्पा गुसाईं आदि ने इन अधिकारियों से कहा कि जोशियाड़ा का एक बड़ा हिस्सा डुबाने के बाद अब आने वाली बरसात में शेष बच्चे हिस्से को बचाने के लिए क्या इंतजाम किए रहे हैं।
प्रशासन को नहीं है प्रभावितों की चिंता
प्रशासन को प्रभावितों की चिंता होती तो एक बिग्रेडियर, तीन कर्नल सहित 11 अफसरों के नेतृत्व में विभिन्न छावनियों से आकर बचाव अभियान में जुटे हुए 250 से ज्यादा सेना के जवानों को वापस न भेज उनकी मदद जारी रखते। सेना तथा आईटीबीपी से अश्वमार्ग तैयार कर एनिमल ट्रांसपोर्ट कंपनी से सड़क संपर्क से कटे गांवों में रसद जैसी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति करने में लगाया जा सकता था। सेना इसके लिए तैयार भी थी। विश्वनाथ पूर्व सैनिक संगठन से जुड़े सेवानिवृत्त मेजर आरएस जमनाल ने कहा कि सेना से मदद न लेना दुर्भाग्यपूर्ण है। ये जवान भागीरथी के कटाव से बाजार को बचाने में पुलिस से ज्यादा प्रभावी ढंग से काम कर सकते थे।