
मंडी। जानलेवा बीमारी के रूप में एड्स विश्व भर के लिए खतरा बनता जा रहा है। मंडी जिला भी एड्स के आंकड़ों में अन्य जिलों से पीछे नहीं है। क्षेत्रीय अस्पताल मंडी में एचआईवी पॉजीटिव आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च 2011 से मार्च 2012 के बीच क्षेत्रीय अस्पताल में 41 नए मामले एचआईवी पॉजीटिव के सामने आए थे, जबकि अब तक का कुल पॉजीटिव आंकड़ा 519 तक पहुंच गया है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो जिले में बढ़ रही एड्स के रोगियों की संख्या चिंता का विषय बनती जा रही है क्योंकि एचआईवी पॉजीटिव का यह आंकड़ा उन्हीं लोगाें का है, जिनके ब्लड सैंपल जांचे गए हैं।
एचआईवी के प्रभाव:
एड्स एचआईवी नामक वायरस से फैलता है। यह वायरस व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देता है। इससे व्यक्ति को कई प्रकार की बीमारियां जकड़ना शुरू कर देती हैं। समय पर इलाज न लेने से इस वायरस के प्रभाव को नियंत्रित कर पाना मुश्किल हो जाता है। इससे अंतत: मौत हो सकती है।
एचआईवी के प्रभाव को नियंत्रित कर पाना संभव..
विशेषज्ञों की मानें तो समय पर उपचार से एचआईवी वायरस के प्रभाव को नियंत्रण में रखा जा सकता है। एचआईवी स्टेट्स पॉजीटिव आने पर पीड़ित को एआरटी दवाइयां शुरू की जाती हैं। इससे पीड़ित को इस बीमारी से लड़ने की ताकत मिलती है।
सलाह एवं परामर्श…
एचआईवी पॉजीटिव होने पर चिकित्सकों की सलाह बेहद जरूरी है। इसके लिए पीड़ित नजदीकी आईसीटीसी सेंटर के चिकित्सकों से सलाह एवं परामर्श ले सकता है। एड्स होने पर पीड़ित को जीवन भर दवाइयां लेनी होती हैं।
हिमाचल में कहां हैं एआरटी सेंटर..
हिमाचल में हमीरपुर, शिमला तथा मेडिकल कालेज टांडा में एआरटी सेंटर बनाए गए हैं। एआरटी सेंटर में उपचार के बाद मरीज के स्वस्थ होने पर लिंक एआरटी सेंटरों में दवाइयाें की व्यवस्था कर दी जाती है।
पक्ष: एड्स जैसी गंभीर बीमारी को जिंदगी का हिस्सा बना बैठना निहायत ही समाज विरोधी है। वह भी उस दौर में जब सुरक्षा के प्रबंध आपके पास उपलब्ध हों। विश्व में एड्स की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास जारी हैं।
हेमंत कपूर, जिला मंडी एड्स नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी।