
शिमला। मुख्यमंत्री के करीबियों में शुमार हरीश जनारथा को भी लाल झंडी मिलने की अटकलें तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि हरीश जनारथा को प्रदेश के किसी बड़े बोर्ड या निगम का चेयरमैन बनाया जा सकता है। जनारथा की अगुवाई में शहरी कांग्रेस ने बारहवीं विधानसभा के चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने में कामयाबी हासिल की है। बीते दो चुनाव से दूसरे नंबर पर चल रही माकपा को तीसरे स्थान पर पहुंचाने का श्रेय भी जनारथा को जाता है।
हरीश जनारथा लंबे अरसे से वीरभद्र सिंह के खासमखास लोगों में गिने जाते हैं। मूलत: रोहड़ू के रहने वाले जनारथा नगर निगम के इंजनघर वार्ड से पार्षद रह चुके हैं। शहर में रहने वाले पहाड़ बहुल क्षेत्र के लोगों में इनकी अच्छी पकड़ है। नगर निगम का उपमहापौर पद भी जनारथा को वीरभद्र सिंह के आशीर्वाद से मिला था। सूत्रों की मानें तो नगर निगम के बीते मई में हुए चुनाव के दौरान हरीश जनारथा कांग्रेस से महापौर पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन मधू सूद टिकट झटकने में कामयाब हो गईं। इसी वक्त जनारथा को शिमला से कांग्रेस टिकट दिए जाने की संभावना बन गई थी। लेकिन शहरी कांग्रेस के भितरघात के चलते हरीश जनारथा करीब छह सौ वोटों से जीत का आंकड़ा छूने से चूक गए। ऐसे में जनारथा की कड़ी मेहनत का फल देने और राजधानी को प्रतिनिधित्व देने के लिए किसी बड़े निगम या बोर्ड का अध्यक्ष पद सौंपा जा सकता है। उधर, हरीश जनारथा का कहना है कि वे कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं। पूरी मेहनत के साथ शिमला शहरी सीट से उन्होंने चुनाव लड़ा। वीरभद्र सिंह उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेंगे वे पूरी मेहनत के साथ उसके जुट जाएंगे।
