
रामपुर बुशहर। खनेरी अस्पताल उपचार में कोताही बरतने के लिए एक बार फिर बदनाम हुआ है। इस बार चिकित्सकों की लापरवाही से एक महिला को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। क्या यहां ऐसा ही चलता रहेगा? इंसान की जान की क्या कोई कीमत नहीं? मौत के लिए किसकी है जवाबदेही, महिला के परिजन और रिश्तेदार इसका जवाब चाहते हैं।
शिमला, कुल्लू समेत किन्नौर जिले के लोगों को बेहतर उपचार देने के मकसद से खोले गए खनेरी अस्पताल में मरीजों के साथ बुरा बर्ताव आम है। इसके साथ-साथ उपचार में कोताही के लिए भी अस्पताल पर सवाल उठते रहे हैं। कुछ महीनों पूर्व समय पर आक्सीजन न दिए जाने से यहां एक नवजात बच्चे की मौत हुई थी। लोग इस घटना को भूले नहीं थे कि सुमित्रा पत्नी सुरेश कुमार निवासी भलूण (रोहड़ू) की मौत ने अस्पताल की लचर कार्यप्रणाली को फिर उजागर कर दिया।
महिला के पति सुरेश कुमार और मामा चेतन पाकला ने कहा कि सुमित्रा की मौत के लिए चिकित्सक ही दोषी है। चिकित्सकों ने उपचार में कोताही बरती। उन्होंने कहा कि यदि वे ढंग से उपचार करते तो उसकी जान नहीं जाती। चिकित्सक उसे शिमला भी रेफर कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। गंभीर हालत होने के बावजूद चिकित्सकों ने उसे घर भेज दिया। उन्होंने कहा कि जिन चिकित्सकों के लिए इनसान की जिंदगी का कोई मोल नहीं है, ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
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क्या कहते हैं अस्पताल प्रभारी
अस्पताल प्रभारी डा. राजेंद्र बिष्ट ने बताया कि जिस वक्त महिला को छुट्टी दी गई, उस समय वह बिल्कुल ठीक थी।