प्रचार-प्रसार से संस्कृत से जुड़ सकते हैं लोग

रानीखेत। संस्कृत सम्मेलन कार्यक्रम में तीसरे दिन आम लोगों को संस्कृत से जोड़ने और प्रदेश में संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि संस्कृत को लोग भुलाते जा रहे हैं। इस भाषा के संरक्षण के लिए हर स्तर पर संघर्ष किया जाएगा। दूसरे सत्र में तय हुआ कि संस्कृत भाषा में अधिक से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत कराए जाएंगे। पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी लोगों को सचेत किया गया।
यहां शिव मंदिर में आयोजित सम्मेलन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए डा. देव नारायण शर्मा, आचार्य दिनेश चन्द्र भारद्वाज, दिल्ली से आए पं. तपस्वी परासर, कोलकाता से पहुंचे मदन मोहन जोशी ने संस्कृत भाषा को जन रूप प्रदान कराने और इसकी भावना का आदर करने पर जोर दिया। द्वितीय सत्र में प्रो. हरि प्रसाद अधिकारी वाराणसी की अर्चना उपाध्याय, महेश्वरी पांडे, माया जोशी, चंद्रशेखर पांडे, बद्रीदत्त भट्ट, विद्यापीठ राम मंदिर के विजेन्द्र मणि त्रिपाठी, विजय सती आदि ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में शोध पत्रों के प्रस्तुतिकरण का अधिक महत्व है। संचालन चंद्रकांत शुक्ल ने किया। सहयोग के लिए मंदिर समिति के अध्यक्ष कैलाश पांडे, अतुल अग्रवाल, जगदीश अग्रवाल आदि लोगों का आभार जताया गया।

Related posts