पालकी में सड़क तक पहुंचाएं जाते हैं मरीज

शाहतलाई ( बिलासपुर)। झंडूता विधानसभा क्षेत्र के तहत ग्राम पंचायत धनीपखर के खरली गांव के लिए अभी तक सड़क मुंह नहीं खुला है। आजादी के 66 वर्ष बाद भी यह इलाका पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है। सरकार से कई बार सड़क के लिए मांग उठाई गई, मगर किसी ने आवाज नहीं सुनी। उधर, विभाग का तर्क है कि वन विभाग से एनओसी मिलने के कारण मामला लटका हुआ है। मंजूरी मिलते ही इसका कार्य आरंभ कर दिया जाएगा।
सरकार लोगों को कई तरह की सुविधा दे रही है। स्वास्थ्य सुविधा में 108 की सुविधा हो या फिर स्कूली बच्चों को मुफ्त बस सुविधा, इस गांव के लोगों के लिए यह कोई मायने नहीं रखता। आज भी लोग तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव तक पहुंच रहे हैं। स्थानीय पंचायत के प्रधान रणजीत कश्यप, ग्रामीण बंती देवी, ठाकुर दास, महंत राम, तृप्ता देवी, मगू राम, टीटू राम, रामदास, अमरू राम, प्रेमा राम, पूर्ण दास, रंगा राम, अभिया राम, कृष्णु राम का कहना है कि देश को आजाद हुए 66 वर्ष बीत जाने के उपरांत भी सड़क सुविधा न होने के कारण हमारा गांव पिछड़ेपन की मार झेल रहा है। यदि गांव में कोई बीमार हो जाए तो पालकी का प्रबंध करना पड़ता है। कई बार तो दूसरे गांवों के बाशिंदे अपनी लड़की की शादी इस गांव में करने से इंकार कर देते हैं। पहले मरीज को तीन किलोमीटर तक पालकी में बैठाकर लेना पड़ता है। इसके बाद ही 108 एंबुलेंस का फायदा मिल सकेगा। ऐसे में कई बार मरीज के प्राण पखेरू तक उड़ जाते हैं। लोनिवि के कलोल में तैनात सहायक अभियंता आरसी वर्मा ने बताया कि खरली गांव के लिए विभाग ने सड़क का प्राक्कलन बना कर सरकार को भेजा है। जिस की मंजूरी भी मिल गई है, लेकिन वन विभग की भूमि सर्वे में आने से सड़क का निर्माण कार्य रुक गया है। विभाग ने एक रिपोर्ट बनाकर वन विभाग को भेजी है। जैसे ही वन विभाग से अनुमति मिलती है तो सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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