चंबा। खतरनाक बन चुकी जिला चंबा की सड़कों पर हादसों का दौर बदस्तूर जारी है। कभी ओवलोडिंग तो कभी खस्ताहाल सड़कें हादसे का कारण बन रही हैं। चंबा की सड़कों में खूनी खेल पर रोक नहीं लग रही है। हालांकि, कुछेक सड़कों पर क्रैश बैरियर लगाए गए हैं मगर अधिकतर ग्रामीण और दूरदराज इलाकों की सड़कों की हालत दयनीय बनी हुई है। पिछले 5 साल में जिला चंबा में 637 सड़क हादसे हो चुके हैं। इनमें 587 लोगों की जान गई। इसके अलावा हजारों लोग इन हादसों का दंश आज भी झेल रहे हैं। पिछले साल 11 अगस्त को चंबा-गागला बस हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था। ओवरलोड बस में सवार 53 व्यक्तियों की जान गई थी। इसके बाद चुवाड़ी के कालीधार में 13 अप्रैल 2013 को जीप गहरी खाई में गिरने से 3 को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। एक दिन बाद 14 अप्रैल को हिमाचल दिवस की पूर्व संध्या पर बडग्रां में हुए हादसे में 12 युवक हादसे का शिकार हुए थे।
रविवार को चुवाड़ी-भोलग मार्ग पर हुए हादसे ने एक बार फिर गहरे जख्मों को कुरेद दिया। हालांकि, बडग्रां और चुवाड़ी के हादसों के लिए सड़क की दुर्दशा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है मगर इन दोनों दुर्घटनाओं में ओवरलोडिंग भी एक वजह मानी जा रही है।
वर्ष 2013 में 46 सड़क हादसे हुए हैं। इनमें 43 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 34 पुरुष व 9 महिलाएं शामिल हैं। वर्ष 2009 में सबसे अधिक 155 सड़क हादसे हुए थे। इनमें 141 लोगों की जान गई थी। पुलिस अधीक्षक बृज मोहन शर्मा ने बताया कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ समय-समय पर अभियान छेड़ा जाता है। हर जगह नजर रखना मुमकिन नहीं है। ग्रामीणों को खुद ही सोचना होगा कि ओवरलोडिंग से वे अपनी और परिवार की जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं।
वर्ष हादसे मौत
2008 110 79
2009 155 141
2010 125 85
2011 121 134
2012 80 105
2013 46 43
कुल 637 587