
मंडी। दुराचार का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को दोषी करार देते हुए सात साल के कठोर कारावास और 50,000 रुपए जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर दोषी को एक साल के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। हालांकि, इस मामले में तीन सह आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित न होने पर उन्हें बरी कर दिया गया।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश एससी कैंथला के न्यायालय ने पंजाब के जिला गुरदासपुर के नया कटडा (कलनौर) मुहल्ला निवासी लखविंद्र पाल पुत्र बिशन दास के खिलाफ भादसं की धारा 376 के तहत अभियोग साबित होने पर उक्त सजा का फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार उक्त आरोपी ने सह आरोपियों के साथ 16 मई 2012 को मंडी के पैलेस मुहल्ला में षड्यंत्र रच कर एक नाबालिग को उसके परिजनों की इच्छा के बगैर शादी करने की मंशा से अगवा कर लिया था। इसके बाद आरोपी ने पीड़िता के साथ तीन अगस्त 2012 तक कलनौर में दुराचार किया था। पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी जेके लखनपाल ने इस मामले में 12 गवाहों के बयान कलमबंद करवाकर आरोपी के खिलाफ अभियोग को साबित किया। अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर पेश किए गए साक्ष्यों को पर्याप्त मानते हुए उसे दुराचार का दोषी करार दिया। हालांकि, नाबालिग को उसके परिजनों की हिफाजत से उनकी इच्छा के बगैर षड्यंत्र के तहत शादी करने की मंशा से अगवा करने का अभियोग भादसं की धारा 363, 366 और 120-बी के तहत साबित न होने पर अन्य सह आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया।