नई दिल्ली । भाजपा चुनाव समिति की कमान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपे जाने के बाद अब दिल्ली प्रदेश भाजपा प्रभारी नियुक्त करने की जोर आजमाइश शुरू हो गई है। अब समीकरण भी बदलने लगे हैं। अब तक जिन लोगों को दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था वे पीछे दिखने लगे हैं।
मोदी-आडवाणी विवाद सुलझ जाने के बाद भाजपा आलाकमान का ध्यान दिल्ली विधानसभा चुनाव पर है। भाजपा सूत्रों की अगर मानें तो, अगले पांच दिनों के भीतर प्रदेश प्रभारी को लेकर मंथन होगा। 15 दिन के भीतर दिल्ली को प्रभारी मिलने की उम्मीद है। बनते-बिगड़ते समीकरण के बीच कलराज मिश्र इस दौड़ में सबसे आगे दिख रहे हैं। तर्क दिया जा रहा है कि पिछले दिनों मिश्र पार्टी से नाराज थे। लिहाजा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह यह अटकल दूर कर सकते है कि मिश्र विरोधी खेमे के हैं। दिल्ली में पूर्वांचलियों की तादाद देखते हुए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली की दलील रही है कि, किसी पूर्वांचली को प्रदेश प्रभारी बनाया जाए। इसमें भी कलराज मिश्र फिट नजर आते हैं। प्रभारी पद के लिए रविशंकर प्रसाद भी दौड़ में है। तर्क दिया जा रहा है कि प्रसाद दिल्ली में बड़ी संख्या में रह रहे पूर्वांचल मतदाताओं को आकर्षित करने में कामयाब साबित हो सकते है। पेशे से वकील प्रसाद गुटबाजी पर भी अंकुश लगाने में कामयाब हो सकते हैं। प्रसाद नरेंद्र मोदी के नजदीकी माने जाते हैं। साथ ही आडवाणी से भी अच्छे संबंध हैं। लिहाजा यह संभव है कि मोदी आडवाणी को खुश करने के लिए रविशंकर प्रसाद के नाम पर मुहर लगा जाए। भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन भी इस दौड़ में है। पार्टी के ये मुसलिम चेहरा है और तेज तर्रार नेता माने जाते हैं। हुसैन सुषमा स्वराज, आडवाणी और उमा भारती के भी चहते हैं। साथ ही पूर्वांचलियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मजबूत पक्ष यह भी है कि दिल्ली में भाजपा का एक भी सांसद नहीं होने के कारण वे लोकसभा में दिल्ली की समस्या उठाते हैं। हालांकि सूत्र बताते है कि इनकी दिलचस्पी कम है।