
दिल्ली ( वीरेन्द्र खागटा )दिल्ली बलात्कार मामले को लेकर चीन ने सख्त रुख अपनाया है और इससे जुड़ी तमाम ख़बरों को सेंसर कर दिया है। चीन के सोशल मीडिया में दिल्ली रेप को लेकर छिड़ी बहस के बाद ये कदम उठाया गया है।
हालांकि चीन सरकार ने इस सेंसरशिप की वजहों पर स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा है मगर ख़बरों के अनुसार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने इस मसले को लेकर भारतीय लोकतंत्र की खिल्ली उड़ाई है।
ट्विटर की तरह चीन की लोकप्रिय वेबसाइट ‘सिना वाइबो’ पर जब लोगों ने दिल्ली रेप केस से जुड़ी खबर को देखना चाहा तो बेवसाइट पर खबर नहीं दिखी।
वेबसाइट पर यह संदेश लिखा आया- “नियम के तहत इससे जुड़े परिणाम प्रदर्शित नहीं किये जा सकते।” यह संदेश आम तौर पर तब प्रदर्शित होता है जब किसी विषय को सेंसरशिप के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया हो।
क्या कहता है सेंसरशिप?
बीजिंग से स्थानीय पत्रकार साइबल दासगुप्ता का कहना है कि चीन में सरकार के लोगों ने इस खबर के विरुद्ध प्रचार करना शुरू किया।
साइबल के अनुसार, “कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों ने ये कहना शुरू किया कि ये सब भारत की लोकतांत्रिक बकवास है, भारत में गरीबी है, भुखमरी है, वहां के लोग लोकतंत्र के नाम पर पागल हैं। हमारे हां लोकतंत्र नहीं है लेकिन हम बहुत खुशहाल हैं, औरतें सुरक्षित हैं।”
लेकिन जब उन लोगों ने इस तरह का उदाहरण देना शुरू किया तो चीन सरकार के विरोधी लोग ये कहने लगे कि चीन में तो इस तरह के मसले पर कोई बोल ही नहीं सकता जबकि चीन में हजारों की संख्या में ‘बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार’ होता है लेकिन कोई आवाज नहीं उठा सकता।
चीन सरकार के विरोधियों का कहना है कि इतनी आजादी के बारे में तो चीन के लोग सपने में भी नहीं सोच सकते।
साइबल कहते हैं, “सेंसरशिप की दूसरी स्थिति ये होती है कि जब दो मित्र देश होते हैं तो वो कई बार सरकार विरोधी खबर को सेंसर कर देते हैं, ये कहते हुए कि जब भविष्य में उनके विरोध में ख़बर आए तो आप उसे सेंसर कर दें और भारत-चीन के बीच इस तरह के रिश्ते हैं, भारत में भी तिब्बतियों को चीन के खिलाफ प्रदर्शन करने से रोका जाता है।”
इस सेंसरशिप के जरिए चीन के लोगों को इस मसले पर किसी तरह की बातचीत या चर्चा की इजाज़त नहीं दी गई है।
ये अलग बात है कि सेंसरशिप लगने से पहले ही चीन की बड़ी जनता ने इस मामले को जान और समझ लिया था।
इस मामले के तूल पकड़ने और सेंसरशिप का ये भी कारण रहा कि ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने अपने ब्लॉग में लिखा कि गैंगरेप से पता लगता है कि भारत का लोकतंत्र नाकाम है जो स्त्रियों की सुरक्षा नहीं कर सकता।