ढाई दर्जन बूथों पर पिछड़े धवाला

देहरागोपीपुर (कांगड़ा)। लगातार तीन बार विस चुनाव में जीत हासिल कर चुके पूर्व मंत्री रमेश धवाला इस दफा सियासी पिच पर चौका मारने से चूक गए। वे कांग्रेस प्रत्याशी संजय रत्न से चुनाव हारे हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो रमेश धवाला को करीब ढाई दर्जन बूथों पर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी संजय रत्न से आधे वोट मिले। ज्वालामुखी हलके में कुल 92 पोलिंग बूथ हैं। इनमें से करीब 30 बूथों पर धवाला को काफी कम वोट मिले। इन बूथों में उनके पक्ष में कम मतदान होना उनकी हार का कारण बना। हालांकि कई भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि कई इलाकों में रमेश धवाला को भितरघात के कारण भी कम वोट मिले। आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो रमेश धवाला को लगड़ू-एक पोलिंग बूथ में 126 और संजय रत्न को 375, लगड़ू-2 में क्रमश: 139 और 239, पुखरू में 25 और 300, मतहेड़ में 17 और 193, डोला खरयाणा में 185 और 478, थिल में 186 और 374, बनगल में 14 और 75, खुंडियां-1 में 242 और 500, खुंडियां-2 में 158 और 505, ढाटी में 187 और 304, सलिहार में 198 और 452, बलाहड़ में 47 और 203, भाटी बोहण में 226 और 449, बलारड़ू में 100 और 262, सिहोरपाईं-3 में 124 और 304, द्रंग में 185 और 380, ज्वालामुखी-1 में 188 और 418, ज्वालामुखी-2 में 214 और 362, ज्वालामुखी-3 में 288 और 584, ज्वालामुखी-4 में 111 और 440, सुराणी में 144 और 436 और मौर में 83 और 181, दलोह में 225 और 413, टिहरी में 236 और 459, अंब सलेतर में 97 और 534, फकलोह में 153 और 297 और भड़ोली कोहला में 162 और 431, सुधंग-1 में 84 और 316 वोट मिले, जबकि थुरल हलके से ज्वालामुखी में मिलाए गए पोलिंग बूथों में रमेश धवाला के पक्ष में अच्छा खासा मतदान हुआ, जबकि खुंडियां और ज्वालामुखी शहर में रमेश धवाला काफी पिछड़ गए। पंचायत स्तर से सियासत शुरू करने वाले रमेश धवाला ज्वालामुखी हलके से तीन दफा चुनाव जीते और दो बार भाजपा सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला। कुल मिलाकर देखा जाए तो रमेश धवाला को अब ज्वालामुखी दुर्ग पर कब्जा करने के लिए दोबारा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर रणनीति बनानी होगी।

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