डीबीटी शुरू करने में हांफा सरकारी तंत्र

हल्द्वानी। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम प्रदेश में शुरू हुई नहीं कि अभी से सरकारी तंत्र हांफने लगा है। डीबीटी से तीन जिलों के लाभार्थियों को भारत सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचाने के लिए उड़ीसा से जो साफ्टवेयर मंगाया गया है, उसे आपरेट करने में राज्य सरकार के नुमाइंदे अनफिट हो रहे हैं। राज्य के नौकरशाहों से तो समाज कल्याण का एनआईसी साफ्टवेयर ही ठीक से आपरेट नहीं हो रहा है, ऐसे में उड़ीसा का हाईटेक साफ्टवेयर आपरेट करना तो दूर की बात है।
प्रदेश के चंपावत, टिहरी और बागेश्वर जिले को भारत सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम में शामिल कर लिया है, लेकिन यह योजना राज्य में शुरू होगी या नहीं इस पर संशय बना है। सरकार ने इस स्कीम पर काम शुरू करवाने के लिए उड़ीसा से हाईटेक साफ्टवेयर मंगाया है। अब उड़ीसा का साफ्टवेयर आपरेट करने के लिए शासन के पास तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। सरकारी नुमाइंदे समाज कल्याण के ही एनआईसी साफ्टवेयर ठीक से आपरेट नहीं कर पा रहे हैं, जिलों के समाज कल्याण दफ्तरों में जो कर्मचारी तैनात हैं। दरअसल, उन्हें कंप्यूटर का खास ज्ञान नहीं है। जिलों के उच्च पदों पर आश्रित कर्मचारी तो ऐसे हैं जो वर्षों से एक जिले मेें रहकर प्रमोशन लेते रहे हैं।
समाज कल्याण निदेशालय के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह दो लोग उत्तराखंड गठन के बाद से पेंशन की योजनाओं को देख रहे हैं, पहले से अब कई लाख पेंशनर बढ़ गए हैं, इसके बावजूद विभागीय ढर्रा पुरानी गति पर चल रहा है। उड़ीसा से जो साफ्टवेयर मंगाया है उसे आपरेट करने के लिए तो समाज कल्याण विभाग के पास तकनीकी ज्ञान वाले कर्मचारी ही नहीं हैं। ऐसी स्थिति में डीबीटी स्कीम कितनी सफल होगी, यह अभी कहना जल्दबाजी होगी। वहीं, संयुक्त निदेशक ब्रह्मपाल सिंह सैनी ने बताया कि उन्हें डीबीटी की ज्यादा जानकारी नहीं है। दो दिन पूर्व देहरादून में उच्चस्तरीय बैठक में प्रमुख सचिव एस राजू ने डीबीटी पर काम शुरू होने की बात कही थी।

डीबीटी वर्कशाप में हाेंगे कई फैसले
– समाज कल्याण के सहायक निदेशक कांति राम जोशी डीबीटी पर नई दिल्ली में सोमवार से होने वाली वर्कशाप में प्रतिभाग करने गए हैं, वर्कशाप में ही तय होगा कि उत्तराखंड के जिले डीबीटी योजना में शामिल किए जाएं या नहीं, हालांकि राज्य सरकार स्कीम चलाने के लिए तैयार है। इधर जोशी ने बताया कि वर्कशाप में कई फैसले हाेंगे, वर्कशाप में ही उन्हें भी सही जानकारी मिलेगी।

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