डिप्टी सीएम का प्रयोग प्रदेश में पहली बार, अब मंत्रीमंडल में शामिल हो पाएगे 10 ही चेहरे

डिप्टी सीएम का प्रयोग प्रदेश में पहली बार, अब मंत्रीमंडल में शामिल हो पाएगे 10 ही चेहरे

शिमला
हिमाचल प्रदेश में पहली बार डिप्टी सीएम का प्रयोग होने से अब 10 ही मंत्री बन सकेंगे। मंत्रिमंडल का गठन करने के लिए कांग्रेस का क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाने के लिए खूब माथापच्ची करनी पड़ेगी। विधानसभा चुनाव में बहुमत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले कांगड़ा और शिमला जिला से मंत्री पद के तलबगार अधिक हैं। जिला सोलन, सिरमौर, बिलासपुर, चंबा, किन्नौर के विधायकों में भी झंडी मिलने का इंतजार है। कुल्लू को मंत्री मिलने से लाहौल स्पीति की दावेदारी कमजोर पड़ जाएगी। जिला मंडी के पार्टी के सिर्फ एक ही विधायक की भी मंत्री पद के लिए लॉटरी लग सकती है।

हिमाचल प्रदेश में वैधानिक रूप से मुख्यमंत्री सहित 12 ही मंत्री बन सकते हैं। इनकी संख्या को इससे अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। नादौन से विधायक बने सुखविंद्र सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री और हरोली से मुकेश अग्निहोत्री को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने से हमीरपुर और ऊना जिला को और मंत्री पद नहीं मिलेगा। सुक्खू की ताजपोशी होने से राजेंद्र राणा और आईडी लखनपाल की दावेदारी खत्म हो गई है। कांगड़ा से सुधीर शर्मा, चंद्रकुमार, संजय रत्न और आशीष बुटेल मंत्री पद के दावेदार हैं। पार्टी को दस विधायक देने वाले इस जिला का मंत्रिमंडल में क्या रुतबा होगा। इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। जिला शिमला से मंत्री बनाने के लिए पार्टी को खूब माथापच्ची करनी पड़ेगी। यहां से विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह, रोहित ठाकुर, नंद लाल और कुलदीप सिंह राठौर दावेदारों की दौड़ में शामिल हैं।

बिलासपुर से राजेेश धर्माणी को मंत्री पद मिलना लगभग तय है। सिरमौर से हर्षबर्द्धन चौहान और विनय कुमार में से एक को मंत्री बनाया जाएगा। सोलन से धनीराम शांडिल के साथ राम कुमार चौधरी की दावेदारी भी मंत्री पद के लिए है। जिला कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर को मौका मिल सकता है। सुंदर की ताजपोशी से लाहौल स्पीति से विधायक रवि ठाकुर को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जिला चंबा से कुलदीप सिंह पठानिया भी मंत्री बन सकते हैं। जिला मंडी में नौ सीटें गंवाने वाली कांग्रेस को सिर्फ एक ही सीट पर जीत नसीब हुई है। धर्मपुर से पार्टी प्रत्याशी चंद्रशेखर ने भाजपा के कद्दावर नेता और निवर्तमान मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के पुत्र रजत ठाकुर को हराया है। कांग्रेस सरकार के नए मंत्रिमंडल में मंडी जिला को हिस्सेदारी देने के लिए चंद्रशेखर को मंत्री पद मिलने की संभावना काफी अधिक है। कांग्रेस पार्टी को क्षेत्रीय के साथ जातीय संतुलन करने के लिए भी खूब माथापच्ची करनी पड़ेगी।

विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की भी होगी नियुक्ति
दो विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद से नवाज कर भी कांग्रेस संतुष्ट कर सकती है। किन्नौर से विधायक जगत सिंह नेगी पहले विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं। ऐसे में इस बार उन्हें पदोन्नत कर विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की अधिक संभावना है। नए विधायकों में से किसी एक को पार्टी उपाध्यक्ष का पद देकर उस जिला को भी सरकार में प्रतिनिधित्व मिलेगा।
वीरभद्र के सिपहसलार की वरिष्ठता हॉलीलॉज की दावेदारी पर पड़ी भारी
पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के सिपहसलार की वरिष्ठता हॉलीलॉज की दावेदारी पर भारी पड़ी है। हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य में दो डिप्टी सीएम बनाने को कांग्रेस आलाकमान तैयार नहीं हुआ। उपमुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल विक्रमादित्य सिंह को इस फैसले का खामियाजा भुगतना पड़ा। पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकेश अग्निहोत्री की वरिष्ठता के चलते विक्रमादित्य सिंह की डिप्टी सीएम की दावेदारी खत्म हो गई। इसके अलावा शिमला जिला के विधायकों अनिरुद्ध सिंह और रोहित ठाकुर का दबाव भी विक्रमादित्य सिंह की ताजपोशी नहीं होने का एक कारण माना जा रहा है।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि शनिवार दोपहर बाद मुकेश अग्निहोत्री और विक्रमादित्य सिंह का नाम उपमुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल था। कुछ देर बाद मुकेश का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे हो गया। राजनीतिक समीकरण सही नहीं बनने और सुक्खू के पास विधायकों का संख्या बल अधिक होने से मुख्यमंत्री पद की रेस से मुकेश बाहर हो गए। फिर दोबारा मुकेश और विक्रमादित्य का नाम उपमुख्यमंत्री बनाने के लिए लिया जाने लगा। एकाएक राजनीतिक घटनाक्रम कुछ इस तरह बदला कि विक्रमादित्य सिंह इस दौड़ से बाहर ही हो गए। कांग्रेस आलाकमान ने दो उपमुख्यमंत्री बनाने से साफ इंकार कर दिया। इसके चलते हॉलीलॉज के करीबी रहे मुकेश अग्निहोत्री को ही उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया।

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