
अमेरिका के बी-52 बम वर्षकों ने 40 वर्ष पहले क्रिसमस के मौके पर अपने सबसे बड़े अभियान को अंजाम दिया था जब उन्होंने उत्तर वियतनाम में बीस हजार टन विस्फोटक गिराकर भारी तबाही मचाई थी। इस घटना में एक हजार से ज़्यादा वियतनामी नागरिक मारे गए थे। इस कार्रवाई ने उत्तर वियतनाम को तोड़कर रख दिया और एक महीने के भीतर ही शांति समझौता हो गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन वियतनाम युद्ध से जल्दी छुटकारा पाना चाहते थे क्योंकि वियतनाम की ताकत से अमेरिका की ज़मीनी फ़ौजों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था। यही वजह थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऑपरेशन लाइनबेकर द्वितीय को हरी झंडी दी थी।
अमेरिका की किरकिरी
उत्तर वियतनाम में युद्ध के दौरान कई गिराए गए विमानों से पकड़े गए वायु सैनिकों को दी जा रही यातनाओं की तस्वीरें लगातार टीवी पर दिखाई जा रही थीं जिससे अमेरिकी सरकार की बहुत किरकिरी हो रही थी। निक्सन पर वियतनाम से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए भारी दबाव था। इतना ही नहीं पेरिस में संबंधित पक्षों के बीच लंबे समय से चली आ रही वार्ता टूट चुकी थी।
अमेरिकी वार्ताकार हेनरी किसिंजर और दक्षिण वियतनाम की सरकार के बीच रिश्तों में तल्ख़ी आ चुकी थी जबकि उत्तर वियतनाम की वामपंथी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे ली डुक थो क़ैदियों की रिहाई के मुद्दे पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं थे। आख़िरकार अमेरिकियों ने निर्णायक क़दम उठाने का फैसला किया।
दहला था हनोई
18 दिसंबर की शाम को 129 बी-52 बम वर्षकों की गड़गड़ाहट से हनोई का आकाश थर्रा उठा। इन विशाल विमानों में हरेक कई टन विस्फोटक ले जाने में सक्षम था। इन विमानों ने तीन-तीन की संख्या में फॉरमेशन में एक के बाद एक लगातार उड़ान भरी।
हज़ारों मीटर नीचे हनोई की ज़मीन पर सायरन बज उठा और लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में इधर-उधर भागने लगे। इस भीड़ में हा मी भी शामिल थीं जो तब महज दस साल के थी। उन्हें आज़ भी अच्छी तरह याद है कि बम वर्षकों की आवाज़ सुनकर वो अपनी बहन के साथ अपने घर की सीढ़ियों के नीचे छिप गई थीं।
बी-52 से तबाही
उन्होंने कहा “आप दूर से ही उनके आने की आवाज़ सुन सकते हैं। वे आपके ऊपर मंडरा रहे हैं और धीमी भिनभिनाहट के साथ आपकी तरफ बढ़ रहे हैं। यह सब कुछ बेहद डरावना था।” अमेरिकी वर्षों से हनोई में लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करके तेल के डिपो और आयुद्ध भंडारों को निशाना बना रहे थे लेकिन बी-52 और उन पर लदे भारी बमों ने सही मायनों में वियतनामी लोगों के दिलों में दहशत पैदा की थी।
बीबीसी की वियतनामी सेवा में बतौर पत्रकार कार्यरत हा मी ने कहा “लड़ाकू विमान बहुत तेज़ उड़ते थे और इक्का दुक्का बम गिराकर पलक झपकते ही आंखों से ओझल हो जाते थे।” “बी-52 विमानों की रफ़्तार बहुत धीमी थी और वे नियमित अंतराल पर बम गिराते थे। लंबे समय तक आपके कानों में बूम, बूम, बूम की आवाज़ सुनाई पड़ती थी। वो बेहद डरावना मंज़र होता था।”
क्रिसमस पर बमबारी नहीं
क्रिसमस के दिन बमबारी रोक दी गई थी लेकिन इसके आगे पीछे सभी दिन अमेरिकी वायु सेना के विमानों ने रात के समय कुल 729 बार उड़ान भरकर उत्तर वियतनाम में जमकर तबाही मचाई। बाद में किसिंजर ने दावा किया था कि बी-52 बमवर्षकों ने वामपंथियों को घुटने टेकने के लिए मज़बूर किया था।
लेकिन यह अमेरिकी वायुसैनिकों के लिए भी एक ख़तरनाक मिशन था। उत्तर वियतनाम की फ़ौज के पास रूस में बनी सतह से हवा में मार करने वाली अत्याधुनिक मिसाइलें (सैम) और पर्याप्त संख्या में विमानरोधी तोपें थीं। इतना ही नहीं उनके पास सोवियत संघ में विकसित कई मिग-21 युद्घक विमान भी थे।
इसके अलावा क्रिसमस के दिन की शांति ने वियतनाम की सेना को पुनर्गठित होने का समय मिल गया। अगले दिन यानी 26 दिसंबर को जब अमेरिकी बमवर्षकों ने फिर से बमबारी शुरू की तो वियतनाम की सेना ने उन्हें कड़ी चुनौती दी।
वियतनामी फ़ौज ने दी थी कड़ी चुनौती
एक अमेरिकी बी-52 से मिली उस रात की एक दुर्लभ रेडियो कम्युनिकेशंस रिकार्डिंग में एक वायुसैनिक को यह कहते हुए सुना जा सकता है “मैंने इससे पहले अपने जीवन में कभी इतनी विमानरोधी तोपें नहीं देखी हैं।” एक अमरीकी वायुसैनिक कहता है “ये सैम्स बिल्कुल आपकी खिड़को को छूते हुए निकल गईं, वे ख़तरनाक से बेहद क़रीब आ गईं थीं।”
हनोई में एक ही रात में व्यस्त बाज़ार खाम थिएन के आसपास 2000 से अधिक मकान नष्ट हो गए. लगभग 280 लोग मारे गए और क़रीब इतने ही घायल हुए थे. हा मी की एक सहेली का घर भी अमेरिकी विमानों के हमलों की चपेट में आ गया था। “कुछ मकान अब भी खड़े थे लेकिन अधिकांश मलबे में ढ़ेर हो चुके थे और यहां तक कि वहां एक बहुत बड़ा गड्ढा बन गया था। मकान पलक झपकते ही जमींदोज हो गए जो बहुत ख़ौफ़ज़दा मंज़र था। मुझे अब भी याद है कि वहां खड़े होकर यह सबकुछ देख रहे थे लेकिन वहां कुछ भी नहीं था। वहां सब कुछ नष्ट हो गया था।”
अमेरिका को भी नुकसान
अमेरिकी वायुसेना ने उस रात दो बी-52 विमान गिराए जबकि इस अभियान में कुल ऐसे 15 विमान गंवाए। इसके अलावा 11 दिनों तक चले ऑपरेशन लाइनबेकर द्वितीय के दौरान कई लड़ाकू विमान और सहायक विमान भी नष्ट हुए थे।
इस मिशन में कम से कम 30 अमेरिकी वायुसैनिक मारे गए और 20 से अधिक लापता हो गए थे। इसके अलावा कई वायुसैनिक उत्तर वियतनाम में विमान से कूदने के बाद पकड़े गए थे। तब वियतनाम की वामपंथी सरकार ने कहा था कि 1600 वियतनामी नागरिक मारे गए थे लेकिन अधिकांश लोगों का मानना है कि हताहत होने वालों की असली संख्या बहुत ज़्यादा थी।
लाइनबेकर द्वितीय मिशन 29 दिसंबर को समाप्त हुआ और 8 जनवरी को पेरिस में सभी पक्ष फिर से बातचीत की मेज पर आ गए। महीने के अंत तक पेरिस शांति समझौता हो गया. इसके साथ ही अमेरिका के कुछ युद्घ बंदियों की रिहाई और वियतनाम में अमेरिकी मिशन की समाप्ती का रास्ता भी साफ हो गया। पेरिस समझौते के शब्द कमोबेश वही थे जो कि क्रिसमस बमबारी अभियान से पहले दिसंबर की शुरुआत में लिखे गए थे।