
शिमला : जिला चम्बा से आईटीबीपी की बटालियन हटाने का मामला राज्य की नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा। प्रदेश में नई सरकार किसकी बनेगी, यह 20 दिसम्बर को स्पष्ट हो जाएगा। ऐसे में इस संवेदनशील मामले में नई सरकार किस तरह से अपना पक्ष रखेगी, उससे तय होगा कि केंद्र अपने फैसले पर अडिग रहता है या फिर पहाड़ी राज्य के हित को ध्यान में रख अपने फैसले पर पुनर्विचार करता है?
गौरतलब है कि केंद्र नवम्बर माह में आईटीबीपी की बटालियन चम्बा से वापस बुलाने का इच्छुक था, लेकिन प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने से केंद्र का यह फरमान सिरे नहीं चढ़ पाया और केंद्र ने भी चुनावी प्रक्रिया में कोई दखल न देते हुए इस बारे जल्द प्रदेश को स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। सूत्र बताते हैं कि नई सरकार के ऊपर काफी कुछ निर्भर करेगा कि वह केंद्र के समक्ष किस तरह से राज्य का पक्ष रखती है। केंद्र सरकार पहले ही प्रदेश से आईआरबी की एक बटालियन जम्मू-कश्मीर भेजने के फरमान सुना चुका है।
आईटीबीपी जवान मुस्तैद
जम्मू-कश्मीर के साथ लगती प्रदेश की करीब 226 किलोमीटर सीमा में से 61 किलोमीटर पर आईटीबीपी के जवानों ने मोर्चा संभाला हुआ है। अधिकारी बताते हैं कि आईटीबीपी के जवानों ने यहां से पलायन करना शुरू नहीं किया है बल्कि उक्त बटालियन की कुछ कंपनियां प्रदेश विधानसभा चुनावों के तहत विभिन्न स्थानों पर मोर्चा संभाले हुए हैं। गौरतलब है कि चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जवान वापस चम्बा रवाना हो जाएंगे।
घुसपैठ बढऩे की आशंका
इन दिनों चम्बा घाटी शीतलहर और बर्फबारी की चपेट में है, ऐसे में यदि यहां से बटालियन हटा ली जाती है तो सीमा पर घुसपैठ होने की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि पुलिस विभाग ने जवानों की तैनाती के लिए सभी व्यापक कदम उठाए हैं लेकिन पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि इस बारे केंद्र को पुनॢवचार करना चाहिए।
पुलिस विभाग हर स्थिति से निपटने में सक्षम है। केंद्र और राज्य सरकार को अंतिम फैसला लेना है। चम्बा में तैनात आईटीबीपी बटालियन के कुछ जवान चुनावी ड्यूटी में लगे हैं। स्थिति का जायजा लिया गया है।
आईडी भंडारी, प्रदेश पुलिस महानिदेशक