ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में कई विभाग फिसड्डी

उन्नाव। जिला प्रशासन ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि कई महत्वपूर्ण विभाग नौ माह बाद भी 25 प्रतिशत राशि भी नहीं खर्च कर सके हैं। कई विभाग तो पिछले वित्तीय वर्ष की राशि भी नहीं खर्च कर सके हैं। अधिकारी चुनावों के कारण विकास कार्य देर से शुरू होने की बात बता रहे हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत गांवों के विकास के लिए जिले में दस योजनाएं संचालित हैं। इनमें से अधिकतर योजनाएं अपने लक्ष्य से काफी पीछे हैं। गांवों में खुले में शौच परंपरा समाप्त करने के लिए चलाया जा रहा निर्मल भारत अभियान पिछले वित्तीय वर्ष का लक्ष्य ही पूरा नहीं कर सका है। इस मद में पंचायती राज विभाग को वित्तीय वर्ष 2011-12 में 4,59,3000 रुपया जारी किया गया था। 2012-13 में केंद्र ने इस मद में 1,75,65000 रुपया और जारी किया। विभाग दिसंबर 12 की शुरुआत तक मात्र 3,38,0100 रुपया यानि कि 0.52 प्रतिशत धन ही खर्च कर सका था। कुछ ऐसी ही हालत प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की भी है। इस मद में अभी तक लोक निर्माण विभाग के पीएमजीएसवाई अनुभाग को 10,53,20,000 हजार रुपया जारी किया गया। अनुभाग दिसंबर की शुरुआत तक मात्र 23,88000 रुपया यानि मात्र 2.27 प्रतिशत धन ही खर्च कर सका था। स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना भी पिछले वित्तीय वर्ष का लक्ष्य पूर्ण नहीं कर सकी है। 2011-12 में जारी की गई धनराशि में से 15,82,50000 रुपया खर्च ही नहीं किया जा सका था। वर्तमान वित्तीय वर्ष में इस मद में 7, 2,83 000 रुपया और जारी किया गया। कुल 22 करोड़ 84 लाख 88 हजार रुपयों में से विभाग मात्र 5 करोड़ 48 लाख 10 हजार रुपया यानि मात्र 23.99 प्रतिशत ही खर्च कर सका है। समेकित जलागम प्रबंधन कार्यक्रम का भी बुरा हाल है। पिछले वित्तीय वर्ष की धनराशि खर्च न कर पाने के कारण इस मद में वर्तमान वित्तीय वर्ष में कोई धन जारी ही नहीं किया गया। इसके बावजूद विभाग अभी तक मात्र 2.78 प्रतिशत धनराशि ही खर्च कर सका है। विभाग को 2011-12 में 1,16 , 92,000 रुपया जारी किया गया था। विभाग अभी तक मात्र 24,78,000 रुपया ही खर्च कर सका है। यही हाल त्वरित ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम का भी है। पेयजल समस्या से जूझ रहे जिले में इस कार्यक्र्रम के तहत मात्र 32.49 प्रतिशत ही धन खर्च किया गया है। विभाग 22, 8,11000 रुपयों में से मात्र 7,17,40000 ही खर्च कर सका है।
विकास भवन सूत्रों के मुताबिक दिसंबर 2011 से अप्रैल 2012 तक विधानसभा व नगर निकाय चुनावों के कारण अधिसूचना लगी रही जिससे विकास कार्य थम से गए थे। सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने वित्तीय वर्ष के शेष तीन माह में इन विभागों को अधिक से अधिक धन खर्च करने के आदेश जारी किए हैं। प्रभारी जिलाधिकारी हेमंत कुमार द्विवेदी ने कहा कि सभी विभागों के कार्यों की समीक्षा की जा चुकी है संबंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द लक्ष्य पूरा करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

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