
लखनऊ। शहर के एक कोचिंग संस्थान से सिविल सर्विसेस परीक्षा की तैयारी कर रही छात्रा ने कोर्स पूरा न कराने पर कंज्यूमर कोर्ट की शरण ली है, जबकि अन्य असंतुष्ट छात्रों ने भी संस्थान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिसप्यूट्स रीड्रेसल फोरम में जाने वाली हेमलता शर्मा ने बताया कि उन्होंने 2009 में महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली से ग्रेजुएशन करने के बाद यूपीएससी और यूपीपीएससी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की थी। इसी दौरान लखनऊ में सितंबर 2010 में इंदिरानगर स्थित राव आईएएस इंस्टीट्यूट से जनरल स्टडीज, हिस्ट्री और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषयों की कोचिंग शुरू की। इसके लिए 50 हजार रुपये फीस ली गई। एडमिशन के समय संस्थान के निदेशक अंशुमान द्विवेदी और मैनेजर अनुपम बनर्जी ने आश्वासन दिया कि कोर्स पूरा होने तक उन्हें क्लासेस अटेंड करने की अनुमति होगी, लेकिन बीच में ही बताया गया कि शिक्षकों की संख्या कम है, इसलिए सिलेबस पूरा नहीं हो सकेगा।
इसके बाद 28 जनवरी 2012 को जब इतिहास कोर्स पूरा करने के लिए कोचिंग गई तो वेद निधि द्विवेदी ने क्लास लेने से रोक दिया। हेमलता के भाई अशोक शर्मा व लोकल अभिभावक आदित्य झा जब संस्थान आए तो उन्हें अपमानित करते हुए उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसके बाद हेमलता ने उपभोक्ता फोरम से हर्जाने के तौर पर फीस के 50 हजार समेत 1.90 लाख रुपये दिलाने का आग्रह किया है। उधर, संस्थान के निदेशक अंशुमान द्विवेदी ने व्यस्तता की बात कहकर कुछ कहने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने कंज्यूमर फोरम को दिए अपने जवाब में हेमलता की शिकायत को गलत बताया है।