अल्मोड़ा। उत्तराखंड लोक वाहिनी ने राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन पर चिंता जताई है। वाहिनी ने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस की कुनीतियों के चलते ही पहाड़ के गांवों से तेजी से पलायन हो रहा है। सरकारों की गलत नीतियों के कारण पहाड़ की प्राकृतिक संपदा की लूट मची है।
उलोवा के केंद्रीय अध्यक्ष डा. शमशेर सिंह बिष्ट ने यहां जारी बयान में कहा कि पृथक राज्य निर्माण के लिए उत्तराखंड के दस पर्वतीय जिलों के निवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। राज्य गठन के तेरह वर्षों में पहाड़ी जिलों की स्थिति पहले से अधिक दयनीय हो गई है। पहाड़ में नियोजित और दूरगामी विकास और रोजगारोन्नमुख योजनाएं लागू नहीं होने से पलायन बढ़ता ही जा रहा है। 2001 की जनगणना के मुताबिक पर्वतीय जिलों की आबादी उत्तराख्ंाड राज्य की आबादी का 53 फीसदी और मैदानी जिलों की आबादी 47 फीसदी थी। 2011 में पहाड़ी जिलों की आबादी छह प्रतिशत घट कर 47 फीसदी रह गई है जबकि मैदानी राज्यों की आबादी बढ़ी है। शासन द्वारा जारी 2011 के जनगणना संबंधी आंकड़ों से पलायन बढ़ने की पुष्टि भी हो गई है।
उन्होंने बढ़ते पलायन के लिए सरकारों की गलत नीतियों को जिम्मेदार बताया। कहा कि सरकारें विकास से वंचित पर्वतीय क्षेत्रों में विकास योजनाएं चलाने के बजाए पहले से ही विकसित और संपन्न मैदानी क्षेत्रों पर ही बजट खर्च कर रही है। अस्पतालों में डाक्टर नहीं होने से लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं। स्कूलों में शिक्षकों के पद लंबे समय से खली पड़े हैं। सरकारों की गलत नीतियों से प्राकृतिक संसाधनों की जबर्दस्त लूट मची है।