
पौड़ी। गढ़वाल मंडल के कमिश्नर देहरादून से जाकर पौड़ी तो बैठने लगे हैं, मगर राजस्व वादों के निस्तारण की चाल तो वो ही पुरानी है। अकेले आयुक्त की अपनी कोर्ट में 1477 राजस्व वाद लंबित हैं। उनके नायब अपर आयुक्त की कोर्ट में 627 वाद लंबित हैं। पूरे मंडल की बात करें, तो लंबित वादों का पहाड़ खड़ा नजर आता है। कुल 27093 राजस्व वाद विभिन्न न्यायालयों में निस्तारित होने की बाट जोह रहे हैं। जिन लोगों के ये मामले हैं, उन्हें चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में जमीन कीमती होती जा रही है। लोगों में जमीन को लेकर होने वाले विवाद तेजी से बढ़ रहे हैं। हरिद्वार और देहरादून जिले इस मामले में सबसे आगे हैं। ऐसे में प्रदेश में दर्ज होने वाले राजस्व वादों की तादात भी बढ़ती जा रही है, लेकिन इनके निस्तारण में तेजी नहीं आ पा रही है। सूत्रों के अनुसार, मंडल में सितंबर माह में 7168 राजस्व वाद दायर हुए थे। लेकिन निस्तारण मात्र 6563 का ही हो पाया। अक्तूबर में पूरे मंडल में दायर हुए 9294 राजस्व वादों में 8135 वाद का निस्तारित हो पाए। निस्तारित होने वाले राजस्व वादों की अपेक्षा दर्ज होने से वादों की संख्या अधिक होने से मंडल में हर माह हजारों वाद लंबित रह जा रहे हैं। जिलों से आई रिपोर्ट के लंबित चल रहे वादों में से 12040 ऐसे है, जो छह माह से अधिक समय से लंबित पड़े हुए हैं।