कब तक यूं ही लुटते रहेंगे मरीज!

रामपुर बुशहर। आखिर कब तक यूं ही लुटते रहेंगे मरीज। महात्मा गांधी चिकित्सा सेवा परिसर खनेरी में मशीन में तकनीकी खराबी का खामियाजा यहां आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। मशीन खराब होने के कारण यहां मरीजों को एक ईसीजी के लिए निजी क्लीनिकों का रुख करना पड़ रहा है। इसके लिए मरीजों को पचास रुपये की जगह सौ रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। अस्पताल में इस टेस्ट के लिए पचास रुपये लिए जाते हैं।
खनेरी अस्पताल में उपचार कराने आने वाले मरीजों को आमतौर पर परेशानी से दो चार होना पड़ता है। कभी अल्ट्रासाउंड तो कभी एक्सरे न होने से परेशान मरीज इन दिनों ईसीजी न होने से दिक्कत में हैं। शनिवार को यहां ईसीजी मशीन में तकनीकी खराबी आ गई। इसके चलते यहां ईसीजी नहीं हो पाए। ऐसे में मरीजों को ईसीजी के लिए निजी क्लीनिकों की दौड़ लगानी पड़ी। जहां ईसीजी तो हो गए लेकिन इसके लिए मरीजों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ी। दरअसल अस्पताल में एक ईसीजी के पचास रुपये लिए जाते हैं, जबकि निजी क्लीनिकों में एक ईसीजी के सौ रुपये वसूल किए गए।
रामपुर निवासी हेमराज भंडारी, निखिल, हेमंत तथा सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि खनेरी अस्पताल में ईसीजी मशीन खराब होने के कारण उन्हें अपने मरीजों का सौ रुपये देकर निजी क्लीनिक में ईसीजी करवाना पड़ा। अगर अस्पताल में मशीन ठीक होती तो उन्हें दोगुने दाम नहीं देने पड़ते। इसी तरह कुल्लू जिले के नित्थर से आए तारा चंद भी अस्पताल में ईसीजी नहीं करवा पाए। मशीन खराब होने के कारण पहली बार मरीजों की जेब ढीली नहीं हुई है। यहां कभी-कभी एक्सरे मशीन भी जवाब दे जाती है और लोगों को एक्सरे निजी क्लीनिकों में करवाने पड़ते हैं। अल्ट्रासाउंड टेस्ट तो यहां कई वर्षों से नहीं हो रहे हैं। सवाल यह है कि क्या लोगों यूं ही लुटते रहना पड़ेगा? सरकार कभी जागेगी नहीं। काबिलेगौर यह है कि यह मुख्यमंत्री वीरभद्र का गृहक्षेत्र है। अगर यहीं स्वास्थ्य सेवाओं का यह हाल है तो फिर अन्य जगहों पर कैसे बेहतर सेवाओं की उम्मीद की जा सकती है। उधर, खनेरी अस्पताल के प्रभारी डा. राजेंद्र बिष्ट का कहना है कि मशीन में तकनीकी खराबी जरूर आई थी, लेकिन बाद में इससे दुरुस्त करवा दिया गया था।

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