
ऊना। सरकारी स्कूलों के नौनिहालों के संदर्भ एक संस्था की ओर से किए गए सर्वे और उसके नतीजाें को लेकर बवाल मच गया है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने उक्त संस्था के सर्वे पर ही प्रश्नचिन्ह लगाते हुए उसकी साख पर उंगली उठाई है। शिक्षकों ने इस सर्वे को सरकारी प्राथमिक स्कूलों पर दाग लगाने का प्रयास बताया है। जिसमें कहा गया है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे पढ़ाई के मामले में बेहद कमजोर हैं। संस्था की ओर से किए जा रहे प्रचार पर शिक्षक संघों में उबाल आने लगा है। उन्होंने सर्वे को सरासर आधारहीन एवं भड़ास निकालने वाला बताया है। उन्होंने संस्था को स्कूलों में आकर निरीक्षण करने तक की भी चुनौती दे डाली है।
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विनय शर्मा, महासचिव राकेश चंद्र शर्मा, कोषाध्यक्ष रवि कुमार और प्रवक्ता महेश शारदा ने संस्था पर जवाबी हमला बोलते हुए कहा कि सर्वे का आधार कुछ सैंपल होते हैं। सैंपल विभिन्न परिस्थितियों में कितने प्रामाणिक हैं, इसकी भी जांच की जानी चाहिए। निजी और सरकारी स्कूलों की तुलना करना बेमानी है। जिसका कारण है कि छात्रों के दाखिलों को लेकर जो नियम सरकारी स्कूलों पर थोपे जाते हैं, निजी स्कूलों को उनसे पूरी तरह आजाद रखा जाता है। प्राथमिक शिक्षकों के अथक प्रयासों से ही प्रदेश प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में देश भर में शिखर तक पहुंचा है। लेकिन, संस्था किन कारणों को लेकर नकारात्मक प्रचार में जुटी है, यह समझ से परे है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस प्रकार की सर्वे रिपोर्ट देने वाली संस्थाओं के निजी हिताें पर नजर दौड़ाई जानी चाहिए। ऐसी संस्थाएं केवल अपने हित साधने के लिए सरकारी तंत्र को बदनाम करने में जुटी रहती हैं। इस मौके पर अन्य शिक्षकों राज्य पुरस्कार विजेता राजेश कुमार, सर्वजीत सिंह, अवतार सिंह, संदेश कुमार, अरुण कुमार, रविंद्र कुमार, सुखदेव सिंह, विनोद कुमार, जगदेव जग्गी, कुलदीप कंग ने कहा कि स्कूलों के सर्वे के लिए वह संस्था का स्वागत करते हैं, जिससे सच सबके सामने आ सके।
क्या है मामला
भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबंध संस्था ने हिमाचल के 272 स्कूलों और 5500 घरों में जाकर 8000 स्कूली बच्चों पर किए सर्वे के आधार पर रिपोर्ट बनाई। रिपोर्ट में सरकारी स्कूलों के बच्चों के गुणा भाग में बड़ी कमजोरी और हिंदी में भारी गिरावट का दावा किया गया है।