उत्तरकाशी। जोशियाड़ा में जल विद्युत निगम की तर्ज पर सिंचाई विभाग गंगोरी क्षेत्र में भी सुरक्षा दीवार बनाता तो बाढ़ प्रभावितों को अपनी जमीन से हाथ नहीं धोना पड़ता।
गंगोरी से लेकर जोशियाड़ा झूला पुल तक सिंचाई विभाग 61.15 करोड़ रुपये से सुरक्षा दीवार तैयार कर रहा है। विभाग ने गंगोरी में जमीन के भीतर की ओर से सुरक्षा दीवारों का निर्माण शुरू किया। जिससे प्रभाविताें को अपनी बची हुई जमीन से भी महरूम होना पड़ा। विरोध करने पर तर्क दिया गया कि जमीन छोड़कर दीवार लगाने से काम में मजबूती नहीं आएगी। सिंचाई विभाग नदी तल में सीमेंट-कंक्रीट-रेत के ब्लाक भर कर ऊपर पत्थरों की चिनाई वाली दीवार बना रहा है। दूसरी ओर जल विद्युत निगम जोशियाड़ा झूला पुल की डाउन स्ट्रीम में 30.47 करोड़ से बाढ़ में कटी जमीन को छोड़कर सीमेंट-सरिया-कंक्रीट वाली आरसीसी दीवार तैयार कर रहा है।
जमीन के बदले जमीन दे सरकार
उत्तरकाशी। गंगोरी निवासी देवेंद्र सिंह, सत्यप्रसाद पैन्यूली, राजेंद्र पैन्यूली, धर्मेंद्र रावत, अतर सिंह चौहान आदि सुरक्षा के नाम पर हमारी बची हुई जमीन भी छीन ली गई। सरकार हमें जमीन के बदले जमीन दे।
दोहरे मानक अपनाने पर रोष
उत्तरकाशी। जोशियाड़ा बाढ़ प्रभावित संघर्ष समिति के अध्यक्ष किशन सिंह पंवार, सचिव विजेंद्र नौटियाल, हरि सिंह गुसाईं और उत्तम सिंह गुसाईं ने बाढ़ सुरक्षा कार्यों में दोहरे मानकों पर रोष जताया। उन्होंने डीएम को पत्र लिखकर जोशियाड़ा पुल से लेकर इंद्रावती तक जल विद्युत निगम की तरह दीवार लगवाने की मांग की है।
कोट-
निगम ने सुरक्षा दीवार का डिजाइन आईआईटी रुड़की से तैयार कराया है। इसमें दीवार के पीछे खाली छोड़ी गई जगह को नदी के मलबे से भरा जाएगा। यह दीवार मजबूती के मानकों पर खरी उतरेगी।- विनोद भाकुनी, ईई जल विद्युत निगम।
सिंचाई विभाग के मानकों में बाढ़ सुरक्षा के लिए आरसीसी दीवार का प्रावधान नहीं है। वर्ष 1978 की बाढ़ के बाद लगाई गई दीवारें अब तक टिकी हैं। मजबूती के लिए जमीन से सटाकर दीवार लगाना जरूरी है।- चंद्रशेखर सिंह, ईई सिंचाई विभाग उत्तरकाशी।
मैंने सिंचाई विभाग व जल विद्युत निगम दोनों के डिजाइन देखे हैं। दोनों तरह की दीवारें मजबूत हैं। बाढ़ प्रभावितों को मानकों के अनुरूप मुआवजा दिया गया है। जमीन के बदले जमीन की मांग शासन स्तर की है।- डा.आर.राजेश कुमार, डीएम उत्तरकाशी।