इंश्योरेंस कंपनी को 1.87 लाख हर्जाना

धर्मशाला। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को 1.87 लाख हर्जाना भरने के आदेश हुए हैं। जिला कंज्यूमर फोरम के अध्यक्ष राकेश कैंथला ने उपभोक्ता के पक्ष में यह अहम फैसला सुनाया है। निजी अस्पताल द्वारा बरती गई लापरवाही पर यह गाज गिरी है।
उपभोक्ता की पत्नी की एक आपरेशन के बाद मौत हो गई थी। उपभोक्ता के केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता एसके सोनी के अनुसार तहसील रैत के गांव नौशहरा निवासी पूर्व सैनिक जगदीश चंद की पत्नी वर्ष 2010 में बीमार हुई थी। सैनिक परिवार होने के चलते जगदीश चंद अपनी पत्नी को इलाज के लिए ईसीएचएस पोलीक्लीनिक टाईप ‘ए’ अस्पताल योल कैंट ले गया। जहां चिकित्सकों ने मरीज को नगरोटा बगवां के एक निजी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। निजी अस्पताल में मरीज का आपरेशन किया गया तथा दो हफ्ते तक मरीज अस्पताल में दाखिल रहीं। लेकिन मरीज की तबीयत खराब होने पर अस्पताल ने उसे जालंधर के एक नामी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया, जहां चिकित्सकों ने मरीज को पीजीआई चंडीगढ़ के लिए रेफर कर दिया, जहां मरीज की मौत हो गई।
अस्पताल प्रशासन से ली गई जानकारी में पाया गया कि आपरेशन के दौरान चिकित्सकों द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण मरीज की मौत हुई। इस पर उपभोक्ता ने जिला कंज्यूमर फोरम में नगरोटा बगवां के निजी अस्पताल और इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। उपभोक्ता अदालत ने पक्ष और विपक्ष की दलीलें सुनने के बाद पाया कि उपभोक्ता निजी अस्पताल और इंश्योरेंस कंपनी से हर्जाना हासिल करने का पात्र है। लेकिन निजी अस्पताल का कंपनी के साथ इंश्योरेंस है, इसलिए इंश्योरेंस कंपनी को ही 1.87 लाख रुपए हर्जाना अदालत के फैसले के तीस दिन के भीतर भरने के आदेश दिए।

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