
शिमला। आईजीएमसी में महिला मरीज के आपरेशन पर आए खर्च पर उठे विवाद में अस्पताल प्रबंधन ने जांच के बाद क्लीन चिट दे दी है। आपरेशन पर आए खर्च में से कुछ को कंपनी से माफ करवाकर मरीज को छुट्टी कर दी गई है। इस मामले में संबंधित डाक्टर और तीमारदार से बात करने के बाद प्रबंधन ने यह फैसला लिया। साथ ही इस बात का भी निर्णय लिया कि भविष्य में इस तरह के विवाद को रोकने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा, जो इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी।
सेमडिकोट के अध्यक्ष डा. अनिल ओहरी ने कहा कि जब तक निजी कंपनी से सीधा आपरेशन का सामान मंगवाते रहेंगे, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। अस्पताल खुद सामान की कंपनी से खरीद करे और मरीजों को उचित मूल्यों पर सामान मुहैया करवाए। यह काम रोगी कल्याण समिति कर सकती है। उधर, इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर एसएस कौशल ने कहा कि संबंधित डाक्टर और तीमारदार से बात करने के बाद कुछ पैसा माफ कर दिया गया है और महिला मरीज को छुट्टी दे दी गई है। एक कमेटी का गठन करने जा रहे हैं। मरीजों के साथ किसी तरह की कोई नाइंसाफी न हो।
यह था मामला
महिला मरीज के तीमारदार ने आरोप लगाया था कि डाक्टर ने आपरेशन से पहले 15 हजार का खर्च बताया था और बाद में कंपनी के प्रतिनिधि ने 40 हजार का बिल थमा दिया। मनरेगा में काम कर परिवार का पेट पालने वाले राकेश के लिए यह मुमकिन नहीं था। इधर-उधर से पैसा उधार लेकर 30 हजार कंपनी वाले को दे दिए। आरोप लगा कि जब तक पैसा जमा नहीं करवाओगे तब तक मरीज को अस्पताल से छुट्टी नहीं मिलेगी। मामला ध्यान में आने के बाद प्रिंसिपल ने मामले के जांच के आदेश दिए, उसके बाद क्लीन चिट देकर जांच बंद कर दी।