आपदा प्रबंधन की तैयारियां जांची

ऊना। डीसी संदीप कदम ने बचत भवन में आयोजित विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला में आपदा प्रबंधन तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने विभिन्न विभागों की ओर से किसी प्राकृतिक और अन्य आपदा की स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों और पूर्व तैयारियों की फीड बैक भी ली। डीसी ने कहा कि आपदा प्रबंधन में वैसे तो हर व्यक्ति का योगदान जरूरी है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर की गई तैयारियों की पड़ताल भी जरूरी है।
संदीप कदम ने कहा कि आपदाएं दो तरह की होती हैं, जिनमें प्राकृतिक आपदा और मानवजनित आपदा शामिल है। प्राकृतिक आपदा में भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, आग और सुनामी जैसी घटनाएं शामिल हैं, जबकि मानवजनित आपदा में दुर्घटनाएं एवं आतंकवादी घटनाएं आती हैं। हालांकि, अधिकांश आपदाओं का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है और न ही इन्हें पूर्ण तौर पर रोका जा सकता है, लेकिन इनके प्रभाव को एक सीमा तक जरूर कम किया जा सकता है, जिससे कि जान-माल का कम से कम नुकसान हो। यह कार्य तभी किया जा सकता है, जब सक्षम रूप से आपदा प्रबंधन का सहयोग मिले। आपदा प्रबंधन के दो महत्वपूर्ण आंतरिक पहलू हैं। वह हैं पूर्ववर्ती और उत्तरवर्ती आपदा प्रबंधन। पूर्ववर्ती आपदा प्रबंधन को जोखिम प्रबंधन के रूप में जाना जाता है। आपदा के खतरे जोखिम एवं शीघ्र चपेट में आने वाली स्थितियों के मेल से उत्पन्न होते हैं। यह कारक समय और भौगोलिक दोनों पहलुओं से बदलते रहते हैं। आपदा प्रबंधन व्यावसायिक समन्वयक के रूप में कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि समस्त आवश्यक सहायक साधन और सुविधाएं सही समय पर आपदा ग्रस्त क्षेत्र में उपलब्ध हैं। जिससे कम से कम नुकसान होता है। इस अवसर पर एडीएम राकेश शर्मा, एसडीएम अंब अश्विनी रमेश सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

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